भारत के पूर्व महान क्रिकेटर और सांसद सचिन तेंदुलकर ने जब गुरुवार को राज्यसभा में पहली बार भाषण देने पहुंचे तब उन्होंने ये नहीं सोचा होगा कि उनका ये पहला भाषण विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ जायेगा और उनको एक भी शब्द बोलने का मौका नहीं मिलेगा. गौरतलब है कि सचिन को राजयसभा में खेलने के अधिकार विषय पर अपनी बात रखनी थी, लेकिन वे इस बारे में कुछ भी ना कह सके. हालाँकि सचिन तेंदुलकर ने अपनी बात को सभी तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया उन्होंने शुक्रवार को एक वीडियो पोस्ट कर अपनी बात रखी. सचिन द्वारा शेयर किए गए इस वीडियो में उन्होंने कहा कि, ''मेरे देशवासियों कल (गुरुवार) कुछ ऐसी बातें थी, जो मैं आप तक पहुंचाना चाहता था. यहां भी वही कोशिश करूंगा. मुझे कई बार हैरानी होती है कि मैं यहां तक कैसे पहुंचा? फिर मुझे एहसास होता है कि क्रिकेट में उठाए गए छोटे कदमों ने मुझे कभी न भूलने वाली यादें दी.''
उन्होंने आगे कहा, ''मैं खेल बहुत पसंद करता हूं. क्रिकेट मेरी जिंदगी है. मेरे पिता रमेश तेंदुलकर कवि और लेखक थे. मैं जिंदगी में जो करना चाहता था, उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया और प्रोत्साहन किया. उन्होंने मुझे क्रिकेट खेलने की आजादी दी, जो उनकी तरफ से मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट था. इसका मैं हमेशा उनका शुक्रगुज़ार रहूंगा.'' मास्टर ब्लास्टर सचिन ने कहा कि, ''गरीबी, आर्थिक वृद्धि, फूड सिक्योरिटी समेत देश में कई अहम मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. एक खिलाड़ी होने के नाते मैं खेल, इंडिया की फिटनेस और लोगों की सेहत पर बात करना चाहता हूं. मेरा विजन स्वस्थ और फिट भारत है. जब युवा स्वस्थ होगा, तब देश में कुछ होगा. साल 2020 में भारत दुनिया के सबसे जवान देशों में से एक होगा. ऐसे मे धारणा ये है कि अगर युवा हैं, तो फिट हैं. लेकिन ये गलत है.''
सचिन ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि, ''सिर्फ डायबिटीज की बात की जाए, तो भारत को इस बीमारी की राजधानी मान सकते हैं. भारत में 7.5 करोड़ लोग डायबिटीज की बीमारी से जूझ रहे हैं. अगर मोटापे की बात करें, तो हम दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं. इन बीमारियों का आर्थिक बोझ भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. ऐसे में देश का आगे बढ़ना संभव ही नहीं है.''
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