करीब 22 सालों से करावल नगर सीट और मोहन सिंह बिष्ट एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं. 1998 से लेकर अब तक सभी चुनाव में भाजपा के चेहरा मोहन सिंह बिष्ट ही रहते हैं. इस सीट पर लगातार चार चुनाव जीत चुके मोहन सिंह बिष्ट को पहली बार शिकस्त AAP की आंधी में मिली. 2015 के चुनाव में वह AAP के युवा प्रत्याशी कपिल मिश्रा के सामने चारों खाने चित्त हो गए. कभी फुटबाल और कबड्डी के शौकीन रहे मोहन सिंह बिष्ट के लिए यह बड़ा झटका था, लेकिन हारने के बाद वह घर में नहीं बैठे. लगातार पार्टी के लिए काम करते रहे. इसके साथ उन्होंने जनसंपर्क भी जारी रहा. इसी वजह से पार्टी ने 62 वर्षीय इस नेता पर ही फिर से भरोसा जताया. यह चुनाव मोहन सिंह बिष्ट के लिए बड़ा इम्तिहान है. उन्हें यह बताना होगा कि इस मैदान में महारथी वह आज भी हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मूल रूप से अल्मोड़ा, उत्तराखंड के रहने वाले मोहन सिंह बिष्ट ने 1998 में पहली बार चुनाव लड़ा था. पहले ही चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी जिले सिंह को तीन हजार वोटों से मात दे दी थी. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनके जीत का फासला अगले चुनावों में बढ़ता गया.
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उन्होने कांग्रेस के कद्दावर नेता हसन अहमद को 2003 में 15,277 वोटों से शिकस्त दे दी थी. 2008 के चुनाव में भी उनका जलवा जनता के बीच रहा. इस चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी सत्यपाल दायमा को 21,128 वोटों से हराया. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी दीवान सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. 2013 में आप मैदान में आ गई. इसके पहले चुनाव में यहां से प्रत्याशी कपिल मिश्रा थे. इन्हें हराने में मोहन सिंह बिष्ट को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी. वह जीते लेकिन अंतर मात्र तीन हजार रहा.
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