मास्को : रूस के विजय दिवस परेड में हिस्सा लेने आयी भारतीय सेना की टुकड़ी अपने सैन्य अभ्यासों के कारण आकर्षण का केन्द्र बनी रही. परेड में करीब एक दर्जन विदेशी सैन्य दस्तों तथा हजारों रूसी सैनिकों ने हिस्सा लिया. शानदार "साफा" बांधे और रौबदार मूछों के साथ भारतीय सेना के ग्रेनेडियर्स के कर्मी दर्शकदीर्घा में बैठे युद्ध में भाग ले चुके सैन्यकर्मियों, शहीदों की विधवाओं, उनके परिजनों और विदेशी हस्तियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गए. रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और अन्य विदेशी हस्तियों को जब भारतीय जवानों ने सलामी दी तो उन्होंने भी सलाम किया और तालियां बजायीं.
मार्चिंग दस्ते का प्रत्येक सदस्य लगभग छह फुट लंबा था और उनका नेतृत्व कैप्टन विकास सिंह सुहाग कर रहे थे. तिरंगा लेकर दस्ते के साथ कैप्टन डी. पी. सिंह चल रहे थे. सुहाग ने बाद में पुतिन से हाथ मिलाया जिन्होंने दस्ते की तारीफ की. ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट के अलग-अलग भागों से चुनिंदा जवानों को लेकर यह दस्ता बनाया गया है. परेड के बाद सुहाग ने कहा, "रूस के विजय दिवस परेड में मार्च करना गौरव की बात है क्योंकि इसमें हिस्सा लेने वाले महज 10 देशों में भारत भी शामिल है". आज के इस समारोह में भाग लेने के लिए 75 सदस्यों की यह टीम 25 अप्रैल को रूस पहुंची थी और 10 मई को स्वदेश रवाना होगी.