साल 1975 से लेकर 1977 तक देश में इमरजेंसी लगी थी और इस दौरान देश में नसबंदी कैंप भी चलाया गया था. जी हाँ, वहीं उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने रुखसाना को पुरानी दिल्ली के मुसलमानों को नसंबदी करवाने के लिए राजी करने का जिम्मा सौंपा था. आप सभी को बता दें कि उस समय आपातकाल के दौरान संजय गांधी द्वारा चलाए गए नसबंदी कैंप का प्रमुख हिस्सा थीं रुखसाना सुल्ताना. ऐसे में नसबंदी का यह काम इस खौफनाक तरीके से चलाया जा रहा था कि रुखसाना को देखते ही लोग डर जाते थे. कहा जाता है संजय गांधी चाहते थे कि देश में परिवार नियोजन के लिए काम किया जाए और इसके लिए उन्होंने नसबंदी का रास्ता अपनाया और उनका मानना था कि किसी भी देश की बढ़ती जनसंख्या को अगर रोक दिया जाए तो देश का तेजी से विकास होगा.
आप सभी को बता दें कि उन दिनों जिस तरह नसबंदी की जाने लगी थी उससे पुरानी दिल्ली में जागरुकता नहीं बल्कि लोगों के बीच डर फैल गया था और 60 साल के बुजुर्गों से लेकर 18 साल के जवानों तक को पकड़ कर उनकी नसबंदी कर दी जाती थी यहां तक कि नए शादीशुदा लोगों की भी नसबंदी कर दी जाती थी. कहा जाता है उस समय में लोग रुखसाना सुल्ताना को देखकर ही डर जाया करते थे और इमरजेंसी के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो रुखसाना खबरों से दूर हो गईं.
कहा जाता है इसके बाद उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं सुना गया और रुखसाना ने शविंदर सिंह से शादी की थी जो खुशवंत सिंह के भतीजे थे. वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस अमृता सिंह रुखसाना और शविंदर की बेटी हैं. जी हाँ, वहीं इमरजेंसी के बाद रुखसाना उस समय चर्चा में आईं जब साल 1983 में उनकी बेटी अमृता सिंह की पहली फिल्म 'बेताब' रिलीज हुई और इस फिल्म में अमृता को खूब पसंद किया गया.
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