भगवान शिव का प्रतीक है रूद्राक्ष
भगवान शिव का प्रतीक है रूद्राक्ष
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हिन्दू धर्मानुसार भगवान ब्रम्हा ने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है. ऐसी कारण उन्हें सम्पूर्ण सृष्टि के रचित कहते है, और साथ ही शिव को देव और दानव दोनों का देवता बताया गया है. भगवान शिव के शांत और प्रसन्न स्वभाव के कारण भोला तो प्रलयंकारी स्वभाव के कारण रूद कहा जाता है. भगवान शिव को जो चीजें बहेद प्रिय हैं उनमें शिवलिंग, बेलपत्र आदि के अतिरिक्त रूद्राक्ष एक अहम वस्तु है. मान्यता है कि भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुआ इन रूद्राक्षों में समस्त दुखों को हर लेने की क्षमता होती है. पुराणों और ग्रंथो के अनुसार रूद्राक्ष के प्रकारों पर अलग-अलग मत है.

वर्तमान में अधिकतर 14 मुखी और गौरी शंकर रूद्राक्ष व गणेश रूद्राक्ष ही मिल पाते हैं. रूद्राक्ष के मुख की पहचान उसे बीच से दो टुक़डों में काट कर की जा सकती है. जितने मुख होते हैं उतनी ही फांके नजर आती हैं. हर रूद्राक्ष किसी न किसी ग्रह और देवता का प्रतिनिधित्व करता है. रूद्राक्ष धारण करने का सबसे बडा फायदा यह माना जाता है कि इसे धारण करने का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता. रूद्राक्ष को पहनने के लिए कोई नियम नहीं है. यह कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थिति में धारण कर सकता है.

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