कोरोना संक्रमण आरम्भ से ही रहस्यमयी लक्षणों वाली महामारी है। वक़्त के साथ इसके कई वैरिएंट आए किन्तु अब इसके जो वैरिएंट आ रहे हैं वो पकड़ से बाहर हैं। RT-PCR जांच निगेटिव रहने के पश्चात् भी फेफड़े में इन्फेक्शन की बात सामने आ रही है। इसलिए अब CT स्कैन को आवश्यक बताया जा रहा है। तो ऐसे में अब कौन सी जांच हो परफेक्ट तथा रोग से लड़ने में क्या है आरम्भिक उपाय, क्या कुछ बचाव के उपाय किए जाएं जो संक्रमण से लड़ाई में कारगर होगा। यहां यही जानने का प्रयास हो रहा है।
एक रिसर्च के अनुसार, RT-PCR टेस्ट के परिणाम 20 फीसदी तक गलत सिद्ध हो रहे हैं। यानी प्रत्येक 5 में से एक शख्स का जांच परिणाम सही नहीं है। कई प्रदेशों में ऐसे रोगी मिल रहे हैं। जिनमें कोरोना के लक्षण हैं किन्तु टेस्ट बार-बार निगेटिव आ रहा है। ये कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप है, प्रश्न ये है कि टेस्ट में वायरस पकड़ में क्यों नहीं आ रहा?
जवाब में इसकी कई वजह हैं:-
1. वायरस नाक या गले में उपस्थित न हो तो परिणाम सही नहीं आएगा।
2. यदि वायरल लोड यानी वायरस की संख्या नहीं थी तो भी परिणाम सही नहीं आएगा।
18 प्रदेशों में कोरोना के नए वैरिएंट्स प्राप्त हुए हैं। ये ब्राजील, UK,दक्षिण अफ्रीका वाले वैरिएंट्स हैं। नया वैरिएंट RT-PCR जांच में नहीं पकड़ में आ रहा है। RNA प्रोटीन में निरंतर परिवर्तन से समस्यां हो रही है। चेस्ट इन्फेक्शन से ही इसका इन्फेक्शन पता चलता है। RT-PCR से -HV69, HV70 नहीं डिटेक्ट हो पा रहा है। वायरस के जो नए वैरिएंट मिले हैं वो अधिक संक्रामक हैं और यही वजह है कि टेस्ट की पकड़ में भी नहीं आ रहे। टेस्ट क्यों फेल हो रहे हैं? इसकी एक वजह यह है कि जिस वायरस का पता लगाने के लिए उन्हें डिज़ाइन किया गया था, उसने बीते वर्ष से अपने रूप और व्यवहार को बहुत बदल दिया है
CT स्कैन से पता चला संक्रमण:-
कोरोना जांच निगेटिव किन्तु सीने में संक्रमण के लक्ष्ण होने पर CT स्कैन से फेफड़े में इंफेक्शन का पता चला। फेफड़ों में 10-20 से 30 फीसदी तक इन्फेक्शन के बाद RT-PCR निगेटिव आ रहा था। पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर का संक्रमण अधिक तेज है। पहले 10 में 1 रोगी को फेफड़े का संक्रमण होता था। अब 10 में 5-6 रोगियों को फेफड़े में संक्रमण हो रहा है।
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