नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित संगठन संस्कृत भारती ने अपने एक कार्यक्रम में संस्कृत भाषा को लेकर कहा है कि यह भारत को एकजुट करने वाली भाषा है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को इसे देश में प्रत्येक स्तर पर बढ़ावा देना होगा. संस्कृत भारती ने संस्कृत में शपथ ग्रहण करने वाले केंद्रीय मंत्रियों हर्षवर्धन, प्रताप सारंगी, अश्विनी चौबे और श्रीपद येसो नाइक सहित 47 नवनियुक्त लोकसभा सांसदों को सम्मानित भी किया.
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक संस्कृत भारती के राष्ट्रीय महासचिव और आरएसएस के दिग्गज नेता दिनेश कामत ने कहा कि सांसदों को प्राचीन भाषा से परिचित कराने के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाने को लेकर लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क किया गया है. आरएसएस प्रबुद्ध मंडल के सदस्य कामत ने कहा है कि बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने कहा था कि संस्कृत को भारत की राजभाषा घोषित किया जाना चाहिए.
कामत ने आगे कहा कि जब डॉक्टर साहब आंबेडकर से यह कहा गया कि संस्कृत भाषा को ब्राह्मणों से जोड़कर देखा जाता है और उन्हें इस भाषा का प्रचार नहीं करना चाहिए, तो आंबेडकर ने अपने अनुयाइयों से कहा कि संस्कृत के महान कवि व्यास, वाल्मीकि और यहां तक कि महाकवि की उपाधि से सम्मानित कालिदास भी ब्राह्मण नहीं थे. संस्कृत मानव का विकासत करती है, यह भारत को एकजुट करती है.
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