उदयपुर : राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की एक संस्था ने अपने माउथपीस में अखंड भारत की नींव रखने वाले शासक अशोक को भारतीय इतिहास का खलनायक बताया है। इस के बाद से विवाद शुरु हो गया है। बौद्ध धर्म को लेकर भी कई आपत्तिजनक बातें कही गई है। लेख का शीर्षक भारतः कल, आज और कल।
संघ के इस संस्था का नाम है- राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद्। इसी के माउथपीस बप्पा रावल में उपरोक्त बातें लिखी गई है। इसकी संपादक राधिका लढ़ा ने अशोक की महानता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक के कारण ही भारतीय राष्ट्र पर बड़े संकटों के पहाड़ टूटे और यूनानी हमलावर भारत को पदाक्रांत करने आ धमके।
भारत का दुभाग्य बताते हुए अशोक को भारतीय राष्ट्र की अवनति का कारण माना गया है। इसके बावजूद हमने अशोक की पूजा की। अच्छा होता कि राजा अशोक भी भगवान बुद्ध की तरह साम्राज्य त्यागकर, भिक्षु बनकर बौद्ध धर्म के प्रचार में लग जाते। अशोक ने ही सारे साम्राज्य को बौद्ध धर्म प्रचारक विशाल मठ के रुप में तब्दील किया।
इसी कारण ग्रीक से हमलावरों ने आकर भारत पर आक्रमण किया। इस बार में जब संस्था के राज्य संगठन मंत्री राजाराम से सवाल किए गए तो उन्होने इसे सही ठहराया। इतिहासकार के एस गुप्ता ने लेखिका के वक्तव्य को गलत ठहराते हुए कहा है कि एक ही गुष या दोष से किसी व्यक्ति का आकलन करना सही नहीं है।
तब हालात अलग थे। अशोक के बाद सातवीं और आठवीं शताब्दी में भी विदेशी हमले हुए। तब तो अहिंसा की पॉलिसी नहीं थी, फिर किसे दोष देंगे। अवनति की स्थिति का बड़ा कारण आपसी फूट थी। इस मामले में राधिका लढ़ा का कहना है कि अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और फिर इसे ही राजधर्म बना दिया।
विदेशों से आने वाला यदि बौद्ध का होता तो अशोक तुरंत उसे अपना मान लेते थे। अशोक ने इतनी शांति फैलाई कि सीमा पर तैनात सैनिकों को ही हटा दिया। इस मामले से संघ ने खुद को अलग करते हुए कहा है कि यह विचार संघ के नहीं है। यह व्यक्तिगत है। संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता कन्हैयालाल चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि यदि अशोक में गुण थे, तो दोष भी थे। उनके आने से भारत में शक्तिपूजा समाप्त हो गई।