बेंगलुरू : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर हिंदूत्व के मसले पर बयान दिया है। उन्होंने हिंदू राष्ट्र पर अपना उद्बोधन दिया है। अखिल भारतीय संघ घोष शिविर स्वरांजलि 2016 के समापन समारोह में शामिल होने पहुंचे संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत द्वारा कहा गया कि हिंदू संस्कृति या भारतीय संस्कृति हमारी पहचान के तौर पर है। भारत केवल जमीन के एक भाग का नाम नहीं है।
भारत की पहचान हिंदू संस्कृति है इस कारण इसे हिंदू राष्ट्र के तौर पर जाना जाता है। वे भारतीय मूल्यों और विविधता में एकता की सांस्कृतिक प्रणाली को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति ने ही हम सभी को एकसाथ रखा हुआ है। यही हमारी पहचान भी है। हिंदू राष्ट्र के तौर पर ही भारत को जाना जाता है। इसका कारण है कि हिंदू राष्ट्र के तौर पर इसे पहचाना जाता है।
हम ऐसे हिंदूओं को एकत्रित करें जो मूल्यों के ही साथ विविधता में एकता की भारतीय सांस्कृतिक प्रणाली को स्वीकार करते हैं। भारत सदैव से विविधताओं के बाद भी एक राष्ट्र है। इस बात का वर्णन अथर्ववेद में मिला है। एकता और विविधता की संस्कृति ने ही भारत को जोड़ रखा है।
मोहन भागवत ने कहा कि लोगों में श्रेष्ठ मूल्य जगाने के लिए आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार ने हिंदू समुदाय को एकत्रित करने का प्रयास किया था। इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जटिल और बड़ा प्रासंगिक बनाने के प्रयास किए जाने की बात कही।