क्या वाकई मुस्लिमों से नफरत करता है RSS? यह Video तोड़ देगा आपके सारे भ्रम
क्या वाकई मुस्लिमों से नफरत करता है RSS? यह Video तोड़ देगा आपके सारे भ्रम
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श्रीनगर: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानि RSS, एक ऐसा संगठन जिसकी पहचान हिंदुत्व को लेकर मानी जाती है, जिसका नाम सुनकर ही कट्टरपंथी मुस्लिम और वामपंथियों के मुंह से गालियों के अलावा और कुछ नहीं निकलता. लेकिन इन सबके बावजूद आरएसएस ख़ामोशी से निरंतर समाज सेवा और राष्ट्र सुरक्षा के काम में लगा रहता है. दरअसल, RSS के बारे में ये भ्रान्ति है कि यह केवल एक हिंदूवादी संगठन है, लेकिन असल में RSS राष्ट्रवादी संगठन है, जो इस राष्ट्र की 'वसुधैव कुटुंबकम' और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' की परंपरा को बचाए रखने के लिए निरंतर संघर्ष करता रहता है.

1947 में देश की आज़ादी के समय में भी जब पाकिस्तानी कबाईलों ने कश्मीर को हथियाने के लिए आक्रमण कर दिया था और भारत की अखंडता पर खतरा मंडराने लगा था, उस समय भी RSS के स्वयंसेवकों ने भारतीय सेना का पूरा सहयोग करते हुए अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय दिया था. तब से लेकर आज तक इस संगठन पर ना जाने कितने इल्जाम लगे, लेकिन यह कभी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हुआ. वर्तमान समय में भी जब कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण सभी लोग अपने घरों में बंद हैं, इस समय भी RSS के स्वयंसेवक अपनी जान को जोखिम में डालकर देश के कोने कोने में लोगों को मदद पहुंचा रहे हैं. उन लोगों को भी जिन्हे सिखाया जाता है कि RSS उनकी परम शत्रु है.

दरअसल, देश भर के कट्टरवादी मुस्लिम संगठनों द्वारा अपनी कौम में यही बात भरी जाती है कि RSS मुसलामानों की शत्रु है, लेकिन जब खुद मुसलामानों ने RSS की सच्चाई देखी, तो वे भी भारत माता और इस संगठन का जयकारा लगाए बिना नहीं रह सके. देश के सबसे विवादित हिस्से जम्मू कश्मीर के सांबा में जब लॉक डाउन के बीच RSS के लोग राशन सामग्री बांटने पहुंचे, तो वहां के मुसलामानों के लिए मानो फरिश्ता आ गया हो. उनके मुंह से अलफ़ाज़ नहीं निकल रहे थे कि वे कैसे इनका शुक्रिया अदा करें, आज तक जिन्हे वे अपना कट्टर शत्रु मानते आ रहे थे, वो ही उनके लिए इस विषम परिस्थिति में भोजन का थाल लेकर खड़ा था, जबकि उनके तथाकथित मसीहा अपने घरों में ऐश फरमा रहे थे. इसका एक वीडियो भी 'स्टेट टाइम्स' ने जारी किया है, जिसमे घाटी के मुसलमान भारत माता और आरएसएस के जयकारे लगाते नज़र आ रहे हैं. उम्मीद है कि एक दिन इस राष्ट्रवादी संगठन की कोशिशें रंग लाएंगी और देश में कट्टरपंथ की जगह फिर से अमन और मोहब्बत की सदाएं गूंजेंगी.

 

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