धर्म का मतलब सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं - मोहन भागवत
धर्म का मतलब सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं - मोहन भागवत
Share:

मुंबई : दिवंगत आरएसएस नेता नाना पालकर की जन्मशती के मौके पर मुंबई में एक कार्यक्रम रखा गया था जिसमे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अपनी बात रखते हुए कहा कि  “धर्म’’ का मतलब सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि एक सामाजिक कर्तव्य भी है और शासक ‘‘राज धर्म” की बात करते हैं.

इस कार्यक्रम में उद्योगपति रतन टाटा भी मौजूद थे. टाटा इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आए थे. भागवत ने कहा, “धर्म पिता के प्रति बेटे का कर्तव्य है, पिता का बेटे के प्रति कर्तव्य है और जिन्हें सत्ता के लिए चुना जाता है वह ‘राजधर्म’ की बात करते नज़र आते हैं. हमें बदले में बिना कुछ लेने कि भावना रखे ईमानदारी से अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए.”

गौरतलब है कि स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की तुलना थेट संतों से की थी. मोहन भागवत ने कहा था कि संत और संघ, दोनों एक सिक्के की तरह ही है दोनों एक ही सिक्‍के के दो पहलू हैं. भागवत ने आगे कहा कि दोनों का काम लगभग एक जैसा ही है. बता दें कि मोहन भागवत ने यह बयान महाराष्‍ट्र के रत्‍नागिरी के नानीज में दिया है.

खबरे और भी...

लखनऊ में फिर सामने आई पुलिस वाले की दबंगई, रिक्शा वाले को पीटा

केरल बाढ़ से प्रभावित हुआ ओणम उत्सव : अय्यपा मंदिर

विदेशों में इस शुभ मुहूर्त में बांधें राखी

अब दिल्ली-भोपाल के बीच दौड़ेगी देश की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -