35 रुपये के लिए 52 साल बाद तीसरी पीढ़ी को मिला न्याय
35 रुपये के लिए 52 साल बाद तीसरी पीढ़ी को मिला न्याय
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ग्वालियर: यह मामला सुनकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे की 35 रुपए के लिए कोर्ट में चल रहे एक केस में आखिरकार 52 साल बाद व्यक्ति को न्याय मिला. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह मामला ग्वालियर का है तथा इसमें अदालत ने मकान मालिक व उनके तीसरी पीढ़ी के वंशजों के पक्ष में फैसला देते हुए किराएदार के परिवार को 247 रुपये किराया राशि देने का आदेश दिया है. मामला कुछ इस प्रकार है की 1963 में दायर हुए इस मुकदमे में जब से लेकर अब तक इस केस की सुनवाई में 24 न्यायाधीश अपनी और से सुनवाई कर चुके है. इनमे से आठ जज व चार वकीलों का तो निधन भी हो चूका है.

बता दे की छीतरमल पिता रामकुंवर के मकान में बाबूलाल पिता कन्हैयालाल अग्रवाल व अन्य किराएदार रहने आए थे। तथा इसके लिए बाबूलाल हर माह किराये के रूप में 35 रुपये देता था। इसी बीच मकान मालिक छीतरमल ने अपना यह मकान वर्ष 1962 में किसी गुलाबचंद्र नामक व्यक्ति को बेच दिया। 

ऐसे में मकान के मालिक छीतरमल ने अपने मकान में रह रहे किरायेदार बाबूलाल को मकान खाली के लिए कहा व बकाया 35 रुपये चुकाने को ताकीद किया तो किरायेदार बाबूलाल इसके लिए राजी नहीं हुए। बकाया 35 रुपये के लिए 5 नवंबर 1962 को उन्हें नोटिस दिया तो मामला कोर्ट तक चला गया। तथा तभी से यह मामला कोर्ट में चल रहा था. इस मुकदमे में कोर्ट के न्यायाधीश उमाशंकर ने किराएदार परिवार को मुकदमा वर्ष से अब तक हर महीने के 35 रुपए के हिसाब से किराया चुकाने का आदेश भी सुनाया. तब से कोर्ट में चल रहे इस मुकदमे में मकान के खरीददार व उनकी पत्नी भी गुजर चुके है व किरायेदार बाबूलाल भी इस दुनिया में नही रहे.   

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