बच्ची पैदा होने के बाद आखिर क्यों हॉस्पिटल को जुर्माना भरना पड़ा ?
बच्ची पैदा होने के बाद आखिर क्यों हॉस्पिटल को जुर्माना भरना पड़ा ?
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मध्यप्रदेश / इंदौर : अल्ट्रासाउंड में लापरवाही के चलते इंदौर के एक हॉस्पिटल पर 15 लाख रुपए का जुर्माना लगा है। महिला की शिकायत पर नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने मामले की सुनवाई करते हुए 'विशेष हॉस्पिटल' और दो डॉक्टर्स पर हर्जाना देने का फैसला सुनाया।

मामला है कि 2009 में प्रेगनेंसी के दौरान इंदौर की अंजु दत्त विशेष हॉस्पिटल में एडमिट हुई थी। उस समय अल्ट्रासाउंड चेकअप में उनकी रिपोर्ट नॉर्मल थी। लेकिन उन्होंने जिस बच्ची को जन्म दिया उसकी स्पाइनल कॉर्ड पूरी तरह से डैमेज था। इतना ही नहीं जन्म से ही इस बच्ची का एक हाथ और एक किडनी भी नहीं है। बच्ची का नाम सिमी है उसका एक लंग भी पूरी तरह से डेवलप नहीं हुआ था। जबकि वजन भी 1500 ग्राम था, जो सामान्य वजन 2500 ग्राम से काफी कम था।

इसके बाद अंजू ने 7 साल पहले नेशनल कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन में हॉस्पिटल पर केस फाइल किया था। उनके वकील अंकित जैन ने कोर्ट को बताया कि प्रेगनेंसी के 21वें हफ्ते में अंजू का अल्ट्रासाउंड किया गया था। इसके बाद 32वें हफ्ते में डॉ. कौशलेंद्र सोनी ने अल्ट्रासाउंड किया था। रिपोर्ट में स्पाइनल कॉर्ड, और हाथ के नॉर्मल होने की बात कही गई थी। जानकारी के मुताबिक अंकित ने कहा है कि बच्ची के पैदा होने के बाद उसकी हालत देखकर दादी को हार्ट अटैक भी आ गया था। इसके बाद मामले कि जांच के बाद अब कमीशन ने संबंधित हॉस्पिटल को 15 लाख रुपए का जुर्माना भरने का फैसला सुनाया है। हॉस्पिटल द्वारा हर्जाने की यह रकम सिमी के 21 साल होने तक उसके फिक्स्ड डिपॉसिट के रूप में डाला जाएगा।

हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक हॉस्पिटल के रेडियोलॉजिस्ट ने अल्ट्रासाउंड में हुई गलती को मानने से इंकार कर दिया है। हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि जिस समय अल्ट्रासाउंड हुआ था, बच्ची जिस तरफ थी वहां से हाथ को स्कैन करना मुश्किल था। इसके अलावा 20 हफ्ते के बाद मेडिकल अबॉर्शन करना भी काफी मुश्किल होता है।

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