नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने एक और नया राग अलापा है और यह है वक्फ बोर्ड को राजस्व सचिव के हाथों में सौंपना। सरकार ने वक्फ बोर्ड को भंग कर अपना एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है, जो अब वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारी संभालेगा। सरकार के इस फैसले को मौजूदा चेयरपर्सन राणा परवीन सिद्दीकी ने हाइकोर्ट में चुनौती दी है। जिस पर फैसला 30 अक्टूबर को सुनाया जाएगा।
इस पूरे मसले पर सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड के सात में से पाँच मेंबरों ने पहले ही इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में राणा के पद पर बने रहने का कोई अर्थ नही है। जल्द ही वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन होना है और तबतक इसका कार्य भार राजस्व सचिव संभालेंगे। सरकार ने बोर्ड पर गड़बड़ी का भी आरोप लगाया है।
इस संबंध में सूचना रेवेन्यू सेक्रेटरी ए. अंबारासु ने 10 अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी कर दी। जिसमें उन्होने अधिनियम 1955 की धारा 99(आई) का जिक्र किया। दूसरी ओर इसकी जानकारी राणा को 15 अक्टूबर को दी गई। गौरतलब है कि राणा 20 जनवरी को चेयरपर्सन चुने गए किंतु दिल्ली सरकार ने इन्हें नोटिफाई नही किया, जिसके खिलाफ उन्होने याचिका दायर की।इस पर 29 अप्रैल को हाइ कोर्ट ने फैसला आने तक राणा को पद पर बने रहने की अनुमति दी थी। इसके बावजूद सरकार ने उन्हे बरखास्त कर दिया।
पहले ही पुलिस, तो कभी महिला आयोग के काम-काज को लेकर एलजी और सरकार में तनातनी चल रही है। ऐसे में यह निर्णय एक नए विवाद को जन्म दे सकती है।