सामने आई सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता
सामने आई सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता
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पिथौरागढ़: उत्तराखंड में इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा होने पर भी सरकारी तंत्र के रवैये में कोई अंतर् नहीं आया.सरकारी अमले  की संवेदनहीनता से बादल फटने की घटना के बाद मलबे से निकले सात शवों के अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन लकड़ी भी मुहैया नहीं करा सका. गम और गुस्से के बीच जब परिजनों नेओगला चौराहे पर शवों को सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया तब प्रशासन हरकत में आया और लकड़ियों का इंतजाम किया. यह हालात तब थे जब आपदा प्रबंधन मंत्री एक जुलाई से पिथौरागढ़ में ही हैं.सीएम रावत ने भी राहत और बचाव के कार्यों में कोई कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए हैं|

बादल फटने की घटना के बाद मलबे से निकाले गए 7 शवों को पोस्ट मार्टम के बाद अंत्येष्टि के लिए चर्मा ले जाया गया. गाँव वालों ने सुबह ही लकड़ी की समस्या से गाँव में मौजूद अधिकारियों को अवगत करा दिया था. शवयात्रा निकलने तक भी जब लकड़ी का इंतजाम नहीं हुआ तो ग्रामीणों में आक्रोश फ़ैल गया. ग्रामीणों ने ओगला चौराहे पर सड़क पर शवों को रख कर प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसकी सूचना आपदा प्रबंधन मंत्री को मिली तो उन्होंने  लकड़ी दिलाने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत कराया. जिलाधिकारी एचसी सेमवाल ने वन विभाग को लकड़ी का इंतजाम करने के निर्देश दिए जिस पर वन विभाग ने लकड़ी का इंतजाम किया. इसमें चर्मा में तैनात आठ आसाम रेजिमेंट ने भी सहयोग दिया|

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