लिंगायत धर्मगुरु स्वामी वाचानंद के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की बहस मंच पर हो गई. इस दौरान कैबिनेट विवाद के मुद्दे पर दोनों के बीच बहस हुई. येदियुरप्पा इस मुद्दे पर इतना भड़क गए कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी दे डाली. उन्होंने कहा कि वह सत्ता के आदी नहीं हैं और तुरंत पद छोड़ने के लिए तैयार हैं.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कि बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समाज के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. इस कार्यक्रम के दौरान मंच पर लिंगायत समाज के संत स्वामी वचनानंद भी मौजूद थे. स्वामी वचनानंद ने लिंगायत समुदाय से आने वाले भाजपा नेता मुरुगेश निरानी को मंत्री बनाने की मांग भाषण के दौरान कही. स्वामी जी की बात सुनकर येदियुरप्पा काफी नाराज हो गए. हालांकि इसके बाद अपने भाषण में येदियुरप्पा ने कहा उपचुनाव के बाद नए विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल नहीं करता, तो कर्नाटक में भाजपा की सरकार बननी मुश्किल थी. इसलिए कुछ भाजपा विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल करना मुमकिन नहीं था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि येदियुरप्पा स्वयं लिंगायत समुदाय से आते हैं. राजनीति जानकारों का ऐसा मामना है कि येदियुरप्पा की इस समुदाय की करीब 17 फीसद आबादी पर मजबूत पकड़ है. वहीं, कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों में से करीब 80 पर लिंगायत समुदाय का प्रभुत्व है. कई बार यह समुदाय हिंदू धर्म से अलग होने की मांग करता रहा है. इनकी मांगों के आधार पर ही न्यायमूर्ति नागमोहन दास समिति की सिफारिशों के तहत सिद्धरमैया सरकार ने इस प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा था.
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