Feb 25 2016 10:31 AM
नई दिल्ली : लगातार कर्ज के डूबने को लेकर संसद की एक समिति के द्वारा भारतीय रिजर्व बैंंक के साथ ही अन्य कई बैंकों को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. समिति के द्वारा जो रिपोर्ट पेश की गई है उसमे यह कहा गया है कि गैर निष्पादित संपत्तियों (NPA) लगातार बढ़ रही है. और इसका इस तरह से बढ़ना इस मामले से निपटने की कार्य प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर रहा है.
समिति ने यह भी कहा है कि यह मुद्दा बैंकिंग व्यवस्था की स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर रहा है. इसके साथ ही यह बात भी सामने आई है कि फंसे हुए कर्ज को लेकर समिति ने यह कहा है कि रिजर्व बैंक इस मामले में पूरी तरह नियमो को लागू करने में सफल नहीं हो पाया है.
जबकि साथ ही समिति ने यह राय भी दी है कि इस मामले में बैंकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाना चाहिए. बता दे कि सितंबर 2015 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति 2,05,024 करोड़ रुपये और साथ ही सकल एनपीए 3,69,990 करोड़ रुपये देखने को मिला था.
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