आखिर फांसी की सज़ा में भी आरक्षण चाहते हैं : वैंकेया नायडू
आखिर फांसी की सज़ा में भी आरक्षण चाहते हैं : वैंकेया नायडू
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नई दिल्ली : संसदीय कार्यमंत्री एम. वैंकैया नायडू द्वारा कहा गया कि आतंकवाद के मसले को धर्म से देखे जाने की जरूरत नहीं है। इस तरह से विचार करने वालों से एक सवाल है कि आखिर वे किस तरह का आरक्षण चाहते हैं। यह जानकारी भारतीय जनता पार्टी की युवा इकाई ने एक समारोह को संबोधित करते हुए दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि नायडू ने पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम के अंतिम संस्कार के दौरान आतंकी याकूब मेमन को मीडिया में महिमा मंडित किया गया। दरअसल याकूब से जुड़ी छोटी - छोटी बातें तक प्रसारित की गईं। आखिर ऐसे व्यक्ति के लिए सहानुभूति किस तरह से रखी जा सकती है।

देश को आतंकवाद के विरूद्ध संगठित किया जाना बेहद जरूरी है। आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता। एम. वैंकेया नायडू ने कहा कि फांसी की सज़ा समुदाय विशेष के लोगों को दी जा रही है। यही नहीं कहा गया कि आंकड़ों के सामने की धारणाऐं गलते साबित हो सकती हैं। मामले में यह बात सामने आ रही है कि हिंदू दोषियों को फांसी की सज़ा देने की मांग की जा रही है लेकिन फांसी में धर्म की बात करना गलत है।

आखिर इसमें भी आप आरक्षण चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि याकूब की फांसी की सज़ा के बाद हर ओर इसका विरोध और समर्थन किया जाने लगा। ऐसे में धार्मिक भावनाऐं भड़कने लगीं। कट्टरपंथी ताकतें याकूब के बाद मालेगांव बम ब्लास्ट के दोषियों और हिंदू आतंकियों को फांसी की सज़ा दिए जाने की मांग करने लगे। 

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