करीब 1.60 लाख साल पूर्व ईस्ट अफ्रीका में जन्मी मानव जाति
करीब 1.60 लाख साल पूर्व ईस्ट अफ्रीका में जन्मी मानव जाति
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बरेली: प्राचीनतम DNA के संबंध में हुई एक महत्वपूर्ण खोज ने भारत के वर्षो पुराने इतिहास की उस जिक्र को गलत करार दे दिया है जिसमे बताया गया था की आर्यों के भारत में आने से मानव सभ्यता का विकास माना गया है। व DNA की इन्वेस्टिगेशन में ऐसी किसी भी बात के कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिला हैं। व ज्ञात हुआ है की करीब 1.60 लाख साल पूर्व ईस्ट अफ्रीका में जन्मी मानव जाति ही वहां से अपना अस्तित्व बढ़ाकर दुनिया सहित भारत तक पहुंची। इसके लिए DNA वैज्ञानिक और भारत में DNA फिंगर प्रिंटिंग के ज्ञाता माने जाने वाले डॉ. लालजी सिंह ने इसके लिए वैज्ञानिकता के आधार पर पुनः नई प्रक्रिया के तहत देश का इतिहास लिखने की बात कही है. कहा की ईस्ट अफ्रीका समेत सिंध प्रांत में विश्व की अत्यधिक पुरानी प्राचीन सभ्यता मोहनजोदड़ो काल की खोदाई से मिली हड्डियों पर किये गए DNA से इस बात का खुलासा हुआ है जो की एक जाँच प्रक्रिया के तहत थी।

मशहूर वैज्ञानिक ने एक वार्ता में प्राचीन डीएनए जांच से धरती पर मानव सभ्यता के उद्भव व विकास पर हुई रिसर्च की जानकारी देते हुए कहा की जब डार्विन द्वारा मानवजाति की तुलना चिंपैंजी से करने पर उनकी जमकर आलोचना हुई थी व उन्हें इसके लिए गालियां तक सुननी पड़ी थी. जब वे मरे तो बाद में चिंपैंजी और मानव के जीन का तुलनात्मक अध्ययन हुआ तो दोनों में 99 फीसद समानता मिली. 

भारतीय इतिहास में कहा जाता है कि आर्यों के आने के बाद से भारत में मानव जाति का विकास हुआ। यह प्राचीनतम DNA ने इस बात को सिरे से गलत साबित किया। ईस्ट अफ्रीका में 1.60 लाख वर्षो पहले मानव जाति का विकास हुआ। जियोलॉजिकल स्टडी के अनुसार भयंकर सूखा पडऩे के कारण ईस्ट अफ्रीका से सत्तर हजार साल पूर्व मानवजाति निकलकर उत्तर के रास्ते से दक्षिणी के समुद्री तट होकर भारत में प्रवेश किया था। व तब से ही एशिया व अन्य देशों में मानव जाति विकसित हुई। डॉ. सिंह कहते हैं कि अब समय आ गया है कि वैज्ञानिक और इतिहासकार मिलकर देश का इतिहास लिखें। ताकि वह प्रामाणिक रहे।

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