नई दिल्ली : उपभोक्ताओं के अधिकार की सुरक्षा वाला बहुत-प्रतीक्षित रियल एस्टेट अधिनियम रेरा (RERA) 1 मई 2017 से से लागू हो रहा है. हालांकि अब तक केवल 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही इन नियमों को अधिसूचित किया है. दरअसल यह एक ऐसे युग की शुरुआत है जहां उपभोक्ता ही सबकुछ होगा.
बता दें कि रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ी कंपनियों ने इस कानून का स्वागत कर कहा कि इससे भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर के कार्यों के तरीकों में बदलाव आएगा. सरकार ने घर खरीदारों की रक्षा के लिए यह कानून बनाया है. बता दें कि अब इस नए कानून में डेवलपर्स को अब उन चल रही परियोजनाओं को पूरा करना होगा, जिन्हें पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. साथ ही नए लॉन्च होने वाले प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन भी 3 महीने के भीतर प्राधिकरण में कराना होगा.
रेरा के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्राधिकरण बनाना अनिवार्य है. अभी तक सिर्फ 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने रेरा के तहत कानून अधिसूचित किए हैं. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्रक, मध्य प्रदेश और बिहार शामिल हैं. वहीं आवास मंत्रालय ने पिछले साल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमन और दीव तथा लक्षद्वीप के लिए कानून अधिसूचित किए थे. वहीं, शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए कानून अधिसूचित किए थे.
उल्लेखनीय है कि भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र के अंतर्गत कुल 76,000 कंपनियां शामिल हैं. इस अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधानों में परियोजना के निर्माण के लिए एक अलग बैंक खाते में खरीदार से एकत्रित धन का 70 फीसद हिस्सा जमा कराना शामिल है. यह परियोजना के समय पर पूरा होने को सुनिश्चित करेगा क्योंकि केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए ही धन निकाला जा सकता है.