फर्जी थी सारकेगुड़ा में हुई मुठभेड़, नक्सलियों की नहीं बल्कि 17 ग्रामीणों की हुई थी मौत
फर्जी थी सारकेगुड़ा में हुई मुठभेड़, नक्सलियों की नहीं बल्कि 17 ग्रामीणों की हुई थी मौत
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रायपुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा एनकाउंटर मामले में एक नया ट्विस्ट आ गया है। मामले की न्यायिक जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सारकेगुड़ा एनकाउंटर फर्जी था और मारे गए लोग ग्रामीण थे। जबकि एक ग्रामीण को एनकाउंटर के दूसरे दिन मारा गया था। ग्रामीण खुले मैदान में बैठक कर रहे थे तभी उनपर गोलियां बरसाईं गई। अब मामले की रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई है और अब इस पर राजनितिक बयानबाजी भी शुरु हो गई है। 

मामले की रिपोर्ट मीडिया में लीक होने के बाद राज्य के पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने इसे आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि सदन में रिपोर्ट रखे जाने के पहले मीडिया में लीक होना काफी गंभीर मामला है। इस पर हम कल विधानसभा में वार्ता करेंगे. साथ ही यह विधानसभा की अवमानना है।उल्लेखनीय है कि 2012 में बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा में नक्सलियों से एनकाउंटर का दावा न्यायिक जांच में पूरी तरह फर्जी पाया गया है। न्यायिक जांच आयोग एकल सदस्यीय थी और न्यायमूर्ति वी के अग्रवाल ने जांच की थी। 11 जुलाई 2012 को गठित यह जांच रिपोर्ट एक माह पूर्व सरकारी अमले तक पहुंच गई थी। यह रिपोर्ट सारकेगुड़ा में नक्सलियों से एनकाउंटर के सरकारी दावे को खारिज करती है। 

रिपोर्ट के निष्कर्ष में कई गवाहों के कथन और मेडिकल रिपोर्ट के आधार शामिल हैं। पुलिस की तरफ से दावा किया गया था कि 2012 में 28-29 जून की दरमियानी रात सारकेगुड़ा में पुलिस और नक्सलियों के बीच एनकाउंटर हुआ था और इसमें सत्रह ग्रामीण मारे गए जिसमें सात नाबालिग थे जबकि दस अन्य जख्मी हुए थे।

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