कोरोना अब भी उतना ही पॉवरफुल है जितना कि भारत में वह लॉकडाउन के समय था। भारत में लगभग 68 दिनों तक सतत लॉकडाउन था। 68 दिनों का यह लॉक डाउन भारत सरकार ने कुल 4 चरणों में लगाया था। इस दौरान हर शख्स अपने घर में कैद था। हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक बार और लॉकडाउन जोर पकड़ रहा है।
लॉक डाउन खुलने के साथ ही पूरा देश वापस पटरी पर लौट रहा है। हालांकि फिर भी देश के कई राज्य और शहर कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच पुनः लॉकडाउन के पक्ष में नज़र आए हैं और आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम समेत कई राज्य लॉकडाउन लगाने या बढ़ाने की घोषणा कर चुके हैं। इसी के बीच मध्यप्रदेश में भी लॉक डाउन की ख़बर जोर पकड़ रही है। जल्द ही इंदौर और भोपाल समेत कई जिलों में लॉकडाउन की घोषणा हो सकती है। इससे पहले एमपी सरकार राज्य में हर रविवार संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर चुकी है। जिसकी शुरुआत बीते कल यानी कि रविवार से हो चुकी है।
क्या बार-बार लॉकडाउन लगाना सही ?
अब सवाल यह उठता है कि चाहे देश की बात हो, चाहे राज्य की बात हो या फिर किसी जिले की बात हो क्या बार-बार लॉकडाउन लगाने का फैसला सही है ? यहां पर दो चीजें सामने निकलर आती है। पहली यह कि सरकार कोई भी काम देश-प्रदेश की जनता के लिए ही करती है और दूसरी यह कि यदि पहले लॉकडाउन लगाने से मामलों में कमी आई थी, तो फिर समय-समय पर इसकी आवश्यकता पड़ने पर और इसे लगाए जाने पर भी कोरोना का ग्राफ नीचे आएगा। क्योंकि यह ऐसी बीमारी है जो कब कहां और कैसे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाए इसके बारे में कोई नहीं जानता। अतः कोई लापरवाही न बरतते हुए अभी और आगे भी लॉकडाउन लगता है तो हमे इस फैसले के साथ न्याय करना होगा।
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