महालय अमावस्‍या: पितरों को खुश करने का दिन
महालय अमावस्‍या: पितरों को खुश करने का दिन
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अश्विन महीने की कृष्‍ण्‍ा पक्ष की अमावस्‍या को महालय अमावस्‍या या सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। 16 दिवसीय श्राद्ध की यह अंतिम तिथि है। शास्‍त्रों में इस त‍िथ‍ि का बहुत महत्त्व बताया गया है, क्‍योंक‍ि इस द‍िन व‍िध‍ि व‍िधान से प‍ितृ व‍िसर्जन कि‍या जाता है। बिहार के गया में आज पूर्वजों के लिए विशेष पिंड और तर्पण के कार्य किए जाते हैं।

बता दें कि इस तिथि का महत्त्व इसलिए भी है, कि जो लोग पूरे पितृ पक्ष में क‍िसी परेशानी से या क‍िसी अन्‍य वजहों से निर्धारित तिथि पर प‍ितरों का श्राद्ध, तर्पण और प‍िंडदान नहीं कर पाते, वे महालय अमावस्‍या के द‍िन ये सब कर प‍ितरों को खुश कर सकते हैं। अमावस्‍या के द‍िन सभी प‍ितर खुश हो आशीर्वाद देकर वापस अपने लोक चले जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि महालय अमावस्‍या के दूसरे द‍िन से नवरात्र व दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है। जहां नवरात्रि‍ में घर-घर माँ दुर्गा देवी के व‍िभ‍िन्‍न स्‍वरूपों की अराधना होने लगती है। बंगाली लोगों द्वारा दुर्गा पूजा शुरू हो जाती है। जगह-जगह पंडालों में व घरों में गरबे आद‍ि शुरू हो जाते हैं। नवरात्र में भक्‍त, देवी से धरती पर आने का आग्रह कर अपने भक्‍तों को आशीर्वाद देने की अपेक्षा करते हैं।

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