भगवान से जिसने किया संबंध, उसके जीवन में आया आनंद ही आनंद
भगवान से जिसने किया संबंध, उसके जीवन में आया आनंद ही आनंद
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जिस मानव का जीवन  इस सांसारिक मोह - माया में फस जाता है. वह भगवान से सम्बन्ध नहीं बना पाता है. वह यह नहीं जानता की यह संसार क्षण -भंगुरता  को धारण किये हुए है. जो पल में अपना रूप बदल रहा है. पल- पल में रिश्ते बदल रहे है. जीव इस संसार में आया तो किसी न किसी से संबंध बना ,और गया तो संबंध टूटे , फिर आया तो किसी और से बने यह आवागमन का चक्र लगा ही है. जिससे मानव उभरता नहीं उसका कारण है. उसने भगवान से संबंध नहीं बनाया है. 

यदि उसने भगवान से संबंध बना लिया तो उसके जीवन में आनंद ही आनंद आएगा साथ ही साथ उसका जीवन इस जगत के आवागमन से मुक्त हो जाएगा .उसे इस संसार की भ्रांतियां सुख  दुःख , रिश्ते , नाते , जीना , मरना , वासना ये सभी से मुक्त हो जाएगा. भगवन भजन  मानव को इस भव सागर से मुक्त करने में सहायक है .

क्या आपको यह पता है. या आप कभी विचार करते है कि हम भगवान के हैं और भगवान हमारे हैं. हम  दुनियाँ के रिश्तों को तो बड़ी उत्सुकता से निभाते है.अच्छी बात है. पर क्या कभी भगवान से हमारा क्या संबंध है. यह जानने कि कोशिश  करते है ?यदि  इस सोच पर  ध्यान दिया जाए तब एक बात तय है कि हमारी उत्पत्ति भगवान से ही हुई है. और हम इस संसार में आने के बाद  उन्हें  धीरे धीरे भूलने लगते हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि इस संसार के आडम्बर , मोह , माया के जाल में इतने फस जाते है. कि जिसने हमें इस संसार में भेजा है. उसे भी भूल जाते है. साथ ही साथ यह भी  कि हम कहां से आए हैं. या किसके अंश हैं. या फिर किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

हम तो बस अपनी मौज में जीने लगते हैं और स्वयं की भौतिक उन्नति कैसे हो इस बारे में विचार करते रहते हैं। माया के फेर में व्यक्ति इतना उलझ जाता है. कि वह आत्मिक उन्नति के बारे में सोच भी नहीं पाता और केवल अपने सुख  के बारे में ही  सोचता रहता है। जिसके कारण यह असर हुआ है कि व्यक्ति स्वार्थ से घिर गया है. यही मानव कि भूल है वह यह जानते हुए भी कि एक दिन यह आत्मा इस शरीर को त्याग देगी , सारा धन - दौलत , सांसारिक रिश्ते नाते यहीं रह जाएंगे कोई काम न आएगा इन सब के बाद भी क्यों भगवान से दूर है . उसे चाहिए भगवन भजन करे उसी में ही मुक्ति है .

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