नई दिल्ली : गृह मंत्रालय द्वारा इशरत जहां 'फर्जी मुठभेड़' मामले से जुड़े लापता दस्तावेजों को लेकर एफआईआर दर्ज करवाने का मामला सामने आया है. सरकार के इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. बता दें कि इस सम्बन्ध में गृह मंत्रालय के एक सचिव ने संसद मार्ग पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत मामला दर्ज करवाया है. पुलिस को की गई शिकायत में पांच दस्तावेजों के किन हालातों में गायब होने के साथ ही क्यों और कैसे हुए इन कारणों की भी जाँच करने को कहा गया है.
इस अहम मामले की फाइलें गुम होने पर इससे पहले अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने अपना निष्कर्ष दिया था कि सितंबर 2009 में दस्तावेजों को जानबूझ कर या अनजाने में हटा दिए गए या गायब हो गए. ये सब उस दौर में हुआ जब कांग्रेस नेता पी चिदंबरम गृह मंत्री थे.
उल्लेखनीय है कि संसद में हंगामे के बाद बीते 14 मार्च को गठित इस पैनल को उन स्थितियों की जांच करने को कहा गया था, जिनमें इशरत जहां से जुड़ी अहम फाइलें गायब हो गईं. समिति ने तीन महीने की जांच के बाद 15 जून को रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें कहा गया है कि पांच में से केवल एक दस्तावेज ही मिल पाया है.
हालांकि जांच समिति ने चिदंबरम या तत्कालीन यूपीए सरकार में किसी भी शख्स के बारे में कुछ नहीं कहा है. गृह मंत्रालय से जो कागजात गायब हैं, उनमें अटॉर्नी जनरल द्वारा परखे गए और 2009 में गुजरात हाई कोर्ट में दायर हलफनामे की प्रति और दूसरे हलफनामे का मसौदा भी शामिल है, जिसमें बदलाव किए गए थे.