अधिकारियों ने दिया बयान, नए जम्मू कश्मीर में हुए कई परिवर्तन
अधिकारियों ने दिया बयान, नए जम्मू कश्मीर में हुए कई परिवर्तन
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जम्मू: 5 अगस्त के बाद से पिछले साल नए जम्मू-कश्मीर राज्य में पत्थरबाजी और अलगाववादी हिंसा की घटनाओं में कमी आई है. अफसरों ने सोमवार को अपने बयान में बताया कि विभिन्न श्रोतों द्वारा जुटाए गए आकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण यह बताता है, कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से आतंकी फंडिंग पर प्रतिबन्ध लगा है. जो अलगाववादी युवाओं का हिंसा भड़काने के लिए उकसाते थे, वह बैंक खाते और परिसंपत्तियों के जब्त किए जाने के पश्चात् से ठंडे पड़ गए है. 


बीते एक वर्ष के चलते अलगाववादी नेताओं द्वारा बमुश्किल किसी बंद का आह्वान किया गया. सरकार बड़े पैमाने पर अलगाववादी गुटों के मुख्य नेताओं को हिरासत में लेने के पश्चात् से उनके समर्थक निष्क्रिय हो गए. सरकार ने सुरक्षा कर्मियों का मर्डर और डॉ. रूबिया सईद केस में यासीन मलिक को हिरासत में लिया गया. जबकि जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के शब्बीर शाह को साल 2007 के मनी लांड्रिंग के एक केस में हिरासत में लिया गया. 

सरकार ने मुठभेड़ में मारे गए दहशतगर्दो के अंतिम संस्कार में होने वाली भीड़ को देखते हुए, सरकार ने मानदंड परिवर्तित करते हुए शवों को सीधे कब्रिस्तान भेजने का निर्णय किया. जहां परिवार वालों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया जाता है. आगे अफसरों ने हिंसा की घटती प्रवृत्ति के आंकड़े देते हुए कहा, 2018 में पत्थरबाजी की 532 घटनाएं, 2019 में 389 और 2020 में 102 मामलें हुए है. यह 2019 की अपेक्षा में 27 फसीदी और 2018 की अपेक्षा में 73 फीसदी कम रहा. 2018 में 2268, 2019 में 1127 और 2020 में 1152 पत्थरबाजों को हिरासत में ले लिया गया है.

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