पहचानें अपनी सांसों को
पहचानें अपनी सांसों को
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हम प्रकाश की गति के साथ दुनिया के किसी भी कोने तक पहुंच सकते हैं, अपनी आंखें बंद करें और ब्रह्माण्ड के किसी भी कोने पर विचार करें- लाल पिघले लावा से लेकर गहरा नीला समुद्र हमारी आत्मा को जीवन की सच्चाई से अवगत करता है। 

जब हम सोते हैं, हम जानते हैं कि हमारे शरीर को आराम की ज़रूरत है, हमारा दिमाग थक चुका है। हम अपनी आंखें बंद कर लेते हैं......ताकि हम शांति का अहसास कर सकें। हम इसकी अभिव्यक्ति कभी नहीं करते। कई अध्ययनों के द्वारा नींद के दौरान दिमाग में चल रही गतिविधियों के वैज्ञानिक प्रमाण जुटाए गए हैं। इन अध्ययनों से नींद की समस्याओं जैसे स्लीप एप्निया और इनसोमनिया तक को समझने में मदद मिली है। कल्पना कीजिए, कि रात के समय में हम अकेले हैं, और हमें डर लग रहा है, यह एक तरह से डिसकनेक्शन का विपरीत समय है। इसके बजाए एक समय ऐसा था, जब एक कनेक्शन हम तक पहुंच रहा था, इस बैटरी को अनप्लग कीजिए और डीसी यानि डायरेक्ट कनेक्ट पर आ जाइए, इससे आपको युनिवर्सल एनर्जी से रीचार्ज मिलेगा।

नींद में आने वाले सपने हमारे रोज़मर्रा के जीवन को एक अज्ञात दुनिया के साथ जोड़ते हैं। सपनों में हम ऐसे लोगों को देखते हैं, जिन्हें हम सदियों ने नहीं मिले- हमें वे रिश्तेदार या दोस्त सपनों में दिखाई देते हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है। कई बार हमारे सपने डरावने होते हैं तो कभी कभी सपनों में हमें अपनी महत्वाकांक्षाएं दिखाई देती हैं। तो सपने भी कभी कभी वास्तविक लगने लगते हैं। वैज्ञानिकों ने इस बात पर अध्ययन किए हैं कि नींद के दौरान हो रहीं इन ऑटोमेटिक न्यूरल गतिविधियों के लिए हमारा शरीर किस तरह की प्रतिक्रिया करता है। कुछ लोग अपने सपनों के बारे में लिखते हैं, कुछ ऐसा करने से हिचकिचाते हैं, कुछ लोग अपने भविष्य को लेकर खुशी या उदासी महसूस करते हैं। आप ऐसे लोगों को भी जानते होंगे जो आपकी कलाई, आपकी कुंडली, आपका चेहरा या पिक्चर कार्ड्स या कांच की गेंद को देखकर आपका भविष्य बताने का दावा करते हों। 

हममें से ज़्यादातर लोग एक ऐसे स्थान पर रहते थे जहां अपरिहार्य मृत्यु की वास्तविकता एक सीमा से बाहर जाकर हमारे जीवन के अनुभवों को प्रभावित नहीं कर सकती। हमारी व्यस्त तनावभरी दिनचर्या अनजाने में कहीं दूर खो जाती है। हो सकता है कि ऐसी स्थिति में आध्यात्म या धर्म से जुड़े लोग अपने आपको अकेला महसूस करें। तो समय आ गया है कि हम अपनी दिनचया में सही संतुलन बनाएं। इसकी कोशिश करें, मनन करें। आप इन सब चीज़ों को ज़्यादा स्पष्ट रूप से देख सकेंगे।

मनन के ज़्यादातर नए-पुराने तकनीकों में सांस लेने की तकनीकें शामिल हैं। अपनी सांस पर ध्यान दें। मनन पर रोशनी डालने वाले हिंदु ग्रंथों में सांस जीवन और जीवन की कमी को जोड़ने वाला धागा है। हमारे शरीर हैं प्राण हैं क्योंकि हम सांस ले रहे हैं, जब प्राण शरीर को छोड़ जाते हैं तो सांसें रूक जाती हैं। सांस वो हवा है जो धरती पर मौजूद है, जैसे ही आप धरती की सीमा को पार कर अंतरिक्ष में जाते हैं, आप सांस नहीं ले सकेंगे। वहां पर सांस के बिना हमारा शरीर जीवित नहीं रह सकेगा। जब आप सोच-समझ कर सांस लेते हैं, यह स्वतः ही धीमी हो जाती है, आपका ध्यान हटता है और आपकी चिंताएं दूर हो जाती हैं। इस तरह आप शांत महसूस करते हैं।

वैब और टीवी पर ऐसे कई गुरू हैं जो देवी-देवताओं के साथ अपने कनेक्शन की बात करते हैं, यही कनेक्शन उन्हें ब्रह्माण्ड में ले जाता है। देवियां, मंत्रोच्चारण करती अपनी अभिव्यकि् के साथ व्यक्ति के साथ जुड़ जाती हैं....वह उनसे जुड़ जाती है, लेकिन सिर्फ उन्हीं से नहीं जुड़ी होती। क्योंकि इसी तरह की अभिव्यक्ति कई अन्य ‘सिद्ध’ संत, साधु और गुरू भी महसूस करते हैं। ब्रह्माण्ड की यही उर्जा विभिन्न मनुष्यों को विभिन्न तरीकों से अभिव्यक्ति में सक्षम बनाती हैं। हममें से वे लोग जो नियमित रूप से प्रार्थना नहीं करते, जो मजबूत भरोसे और संदेह के बीच अंतर कर सकते हैं- वे इस कनेक्शन को बेहतर समझ सकते हैं। वास्तव में, हम अपने किसी एक देवी या देवता को महसूस करते हैं, जब हमारी आत्मा का कनेक्शन उनके साथ बन जाता है। जागरुकता का एक धागा हमें देवी या देवता के माध्यम से ब्रह्माण्ड के साथ जोड़ता।

जब कनेक्शन का यह धागा बन जाता है, फिर यह कभी टूट नहीं सकता.....यह कैसे संभव है? प्राण सभी जीवों की एक समान अभिव्यक्ति है। अंतर सिर्फ आत्मा की क्षमता का है, जो प्राण की दिव्य क्षमता को  महसूस करती है। जब हम अपनी सांस पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, शरीर में प्राण की मौजूदगी अनिवार्य रूप से महसूस होती है। जब भी डर आप पर हावी होने लगे, इसी स्थायी कनेक्शन पर विचार करें, याद रखें कि प्राण-आप हैं। यह अनंत है। यह अनश्वर है। आपके भीतर भगवान कृष्ण का वास है।

लेखिका के बारे में -

श्वेता सिंह( पीएचडी, एम.एस.डब्ल्यू) सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर, फाईव मिनट ब्रेक फॉर मेडिटेशन एण्ड योगाः कुंडलिनी यॉर वे टू स्टै्रस कंट्रोल की लेखिका हैं। (आध्यात्मिकता एवं सशक्तकरण पर आधारित सीरीज़)



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