क्यों होता है टाइप 1 डाइबिटीज
क्यों होता है टाइप 1 डाइबिटीज
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बदलती लाइफस्टाइल के कारण बहुत सी बीमारियों ने हमें घेर लिया है. आरामपसन्द लोग बहुत जल्दी घातक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं क्योंकि वो शारीरिक श्रम से बचते हुए अपने शरीर को बीमारियों का घर बना लेते हैं. मोटापा अपने सेहत बहुत सी बीमारियां लाता है और मधुमेह भी ऐसी ही घातक बिमारी है जिसकी चपेट में आज दुनिया का बहुत बड़ा हिस्सा आ चूका है. डाइबिटीज दो तरह की चलती है आज हम आपको टाइप 1 डाइबिटीज के बारे में बताएंगे।

इस प्रकार के डायबिटीज में पैन्क्रियाज की बीटा सेल्स पूरी तरह से डैमेज हो जाती हैं और इस तरह इंसुलिन का बनना सम्भव नहीं होता है। यह अनुवांशिक, ऑटो-इम्यून एवं कुछ वायरल संक्रमण के कारण होता है, इसके कारण ही बचपन में ही बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। टाइप 1 मधुमेह बीमारी आमतौर पर 6 से 18 साल से कम अवस्था में ही देखने को मिलती है।

टाइप 1 डायबिटीज में कुछ लक्षण साफ़ तौर पर नजर आते हैं. शुगर की मात्रा बढ़ने से मरीज को बार-बार पेशाब आता है, शरीर से अधिक तरल पदार्थ निकलने के कारण रोगी को को बहुत प्यास लगती है। इसके कारण शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है, रोगी कमजोरी महसूस करने लगता है, इसके अलावा दिल की धड़कन भी बहुत बढ़ जाती है। टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन का बनना कम हो जाता है या फिर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, और इसे काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है।

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