बड़ी खबर! बच्‍चे के दिल में हो छेद या टेढ़े-मेढ़े हाथ-पैर, सरकार कराएगी फ्री इलाज
बड़ी खबर! बच्‍चे के दिल में हो छेद या टेढ़े-मेढ़े हाथ-पैर, सरकार कराएगी फ्री इलाज
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आजमगढ़: बच्चे माँ-बाप के लिए सब कुछ होते हैं, भले ही वह कैसे भी हो। कई बार ऐसे बच्चे पैदा हो जाते हैं जो अजीब दिखते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ मुबारकपुर के रामनाथ के घर में। यहाँ किलकारी गूंजी, लेकिन बच्चे के होठ और तालू अजीब से कटे हुए दिख रहे थे। ऐसे में शुरुआत में सब ठीक रहा, लेकिन बड़े होने के साथ मासूम चेहरे में कटे-फटे होठ दंपती के लिए मुसीबत बन गए। वहीँ जब आस-पड़ोस के लोगों से संपर्क किया तो उनको पता चला कि बड़े अस्पताल में आपरेशन कराने से ठीक होगा, लेकिन 50 हजार रुपये से कम खर्च नहीं होंगे। ऐसे में परिवार जिला अस्पताल पहुंचा तो उनको पता चला कि सरकार ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में बाकायदा बजट का प्रावधान किया है। जी हाँ और हॉस्पिटल में इलाज हो पाया तो ठीक, नहीं तो रेफर कर निजी अस्पतालों में सरकारी खर्च पर इलाज हो जाएगा। जी हाँ और उसके बाद वह दिन भी आया जब इलाज के बाद मासूम का चेहरा सामान्य बच्चों की तरह हाे गया।

आइए जानते हैं आबीएसके याेजना के बारे में- जी दरअसल राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) भारत सरकार के स्वास्थ मंत्रालय ने फरवरी 2013 में शुरू किया था और इसकी मंशा बच्चों के शारीरिक बनावट में किसी तरह की कमी को पूरा करना है। वहीं इस लिस्ट में बच्चे के दिल में छेद हो, हाथ-पैर टेढ़े-मेढ़े, कान से सुनाई नहीं देना, कटे-फटे होेठ, तालू इत्यादि परेशानियों को शामिल किया गया है। जी हाँ और सरकार ने जिला व मंडलीय अस्पतालों में इसके इलाज की मुकम्मल व्यवस्था की है, लेकिन संभव न हुआ तो निजी अस्पतालों में सरकारी खर्च से इलाज के लिए बजट का बाकायदा प्रावधान किया गया है। बस अभिभावक को हड्डी के डाक्टर से मिलकर परेशानी बतानी होगी।

आपको बता दें कि सरकार सिर्फ योजना नहीं चला रही, बल्कि बच्चों को चिह्नित करने एवं लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं को सौंपी है। जी हाँ और आरबीएसके की टीम स्कूलों में भी पहुंच निगरानी करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि घर-घर पहुंच निगरानी से कोई बच्चा छूट जाए तो स्कूल पहुंचने पर पहली नजर में ही पकड़ में आ जाए।

इतने बच्चे-किशोर हुए लाभान्वित

- टेढ़े-मेढ़े हाथ-पैर के 250

-होठ और कटे-फटे तालू के 150

-दिल में छेद के करीब 20

-कान से न सुन पाने वाले सात

 आपको बता दें कि 'योजना में शून्य से 18 वर्ष उम्र तक को शामिल कर सकते हैं। इलाज निशुल्क है।

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