कर्ज वसूली के नियम हुए आसान
कर्ज वसूली के नियम हुए आसान
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नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ने कर्ज वसूली के लिए SDR के नियम सरल कर दिए हैं. अब SDR यानी स्ट्रैटेजिक डेट रीस्ट्रक्चरिंग के तहत बैंक कम हिस्सेदारी बेचकर भी प्रक्रिया शुरु कर सकते हैं. साथ ही साथ ज्वाइंट लेंडर फोरम के नियम भी सरल किए गए हैं. SDR के मामले में बैंकों को सहूलियत दी गई है और एसडीआर कर्ज में डूबी कंपनी का टेकओवर कर सकते हैं.

बैंक को एसडीआर के लिए 51 प्रतिशत बेचने की शर्त से मुक्ति मिल गई है और अब 51 प्रतिशत की बजाय 26 प्रतिशत बेचना काफी रहेगा. कंपनी के मैनेजमेंट में बदलाव जरूरी है और 18 महीनों में 15 प्रतिशत की प्रोविजनिंग करना जरूरी होगा. कंपनी बिकने की संभावना कम होने पर प्रोविजनिंग बढ़ा देनी होगी. बैंकों के लिए सामूहिक कर्ज वसूली आसान कर दी गई है.

सार्वजनिक कर्ज वसूली के नियम सरल कर दिए गए है और अब 75 प्रतिशत के बदले 50 प्रतिशत कर्ज देने वाले बैंकों की रजामंदी जरूरी होगी. सामूहिक कर्ज वसूली के JLF बनाया गया है. JLF यानी ज्वाइंट लेंडर फोरम और JLF का सदस्य बैंक असहमति होने पर अलग हो सकता है. तय समय पर खरीदार लाने पर JLF की राय माननी होगी.

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