जालसाजों के जाल में न फंसें, आरबीआई ने जारी किया अलर्ट
जालसाजों के जाल में न फंसें, आरबीआई ने जारी किया अलर्ट
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आज के समय में कई लोग हैं जो आसनी से जालसाजों का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अधिक मात्रा में पैसे के घोटालों के सामने आने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी ओर से संभावित धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए चेतावनी जारी की है। इसी के साथ आम जन को सूचित किया है कि वह कभी भी अवांछित फोन कॉल या ईमेल के माध्यम से ग्राहक से संपर्क नहीं करता है या पैसे मांगता है या किसी अन्य प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी भी केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं मांगी जाती है। जी दरअसल हाल ही में आरबीआई ने एक विज्ञप्ति जारी की है। इसमें कहा गया है कि, 'रिजर्व बैंक किसी व्यक्ति को पैसा/विदेशी मुद्रा या किसी अन्य प्रकार के फंड का रखरखाव नहीं करता है या व्यक्तियों के नाम पर खाता नहीं खोलता है।'

इसी के साथ रिज़र्व बैंक ने जनता से सतर्क रहने और भारतीय रिज़र्व बैंक के कर्मचारी होने का प्रतिरूपण करने वाले व्यक्तियों द्वारा किए गए धोखाधड़ी या घोटालों का शिकार न होने का आग्रह किया है। आप सभी को बता दें कि ऐसा उस समय किया गया है जब भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पहले कई मौकों पर, “जनता के सदस्यों को तथाकथित विदेशी संस्थाओं द्वारा विदेश से विदेशी मुद्रा में काल्पनिक प्रस्तावों / लॉटरी जीत / सस्ते धन के प्रेषण के शिकार न होने की चेतावनी देने के बाद आता है। व्यक्तियों या भारतीय निवासियों के लिए जो ऐसी संस्थाओं/व्यक्तियों के प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहे हैं।” जी हाँ और यह बताते हुए कि धोखाधड़ी कैसे होती है, रिजर्व बैंक ने कहा है कि “धोखेबाज पत्र, ई-मेल, मोबाइल फोन, एसएमएस आदि के माध्यम से भोले-भाले लोगों को आकर्षक प्रस्ताव भेजते हैं। ऐसे प्रस्तावों पर विश्वास करने के लिए, संचार अक्सर / से भेजा जाता है। लेटरहेड/वेबसाइट जो भारतीय रिजर्व बैंक जैसे कुछ सार्वजनिक प्राधिकरणों की तरह प्रतीत होती हैं।”

केवल यही नहीं बल्कि इसके अतिरिक्त, प्रस्तावों पर कथित तौर पर ऐसे प्राधिकरणों के शीर्ष अधिकारियों/वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। इस दौरान अधिकारियों के नाम भले ही सही हों लेकिन उनके हस्ताक्षर फर्जी होते हैं। ऑफ़र दस्तावेज़ में रिज़र्व बैंक/सार्वजनिक प्राधिकरणों के किसी विभाग में कार्यरत एक तथाकथित RBI अधिकारी का संपर्क विवरण होगा, जैसा कि RBI की विज्ञप्ति में बताया गया है। वहीं जालसाज शुरू में संभावित पीड़ितों से प्रोसेसिंग फीस/लेन-देन शुल्क/कर निकासी शुल्क/रूपांतरण शुल्क, समाशोधन शुल्क आदि कारणों से छोटी रकम जमा करने के लिए कहते हैं। उसके बाद पीड़ितों को एक निर्दिष्ट खाते में पैसे जमा करने के लिए कहा जाता है। वहीं धोखेबाजों के पास अक्सर ऐसे शुल्क वसूल करने के लिए अलग-अलग बैंक शाखाओं में व्यक्तियों या मालिकाना संस्थाओं के नाम पर कई खाते होते हैं।

इस दौरान धोखेबाज वास्तविक लेकिन भोले-भाले खाताधारकों को कुछ कमीशन प्राप्त करने के वादे पर इस तरह की धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए अपने खातों को उधार देने के लिए राजी करते हैं। जैसे ही एक बार प्रारंभिक राशि जमा हो जाती है तो उसके बाद अधिक आधिकारिक ठोस कारणों के साथ अधिक धन की मांग की जाती है। वहीं इन खातों में एक बड़ी राशि जमा करने के बाद, जालसाज पैसे निकाल लेते हैं या विदेश में स्थानांतरित कर देते हैं और पीड़ितों को आगोश में छोड़कर गायब हो जाते हैं। अब तक कई निवासी शिकार बन चुके हैं और इस तरह के फर्जी प्रस्तावों के कारण भारी रकम गंवा चुके हैं।

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