RBI गवर्नर का पद किसी नौकरशाही की तरह नहीं : राजन
RBI गवर्नर का पद किसी नौकरशाही की तरह नहीं : राजन
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पिछले साल सितम्बर में RBI गवर्नर का पद छोड़ने वाले रघुराम राजन ने एक बार सचेत किया है कि केंद्रीय बैंक के अधिकारों में नौकरशाही को हस्तक्षेप करने से रोका जाना चाहिए और उन्हें यह समझाना चाहिए कि, गवर्नर का पद किसी नौकरशाही की तरह नहीं होता। राजन की किताब 'आई डू व्हॉट आई डू' में इस बात का साफ़ उल्लेख किया गया है कि आरबीआई गवर्नर का पद ठीक तरह से परिभाषित नहीं किया जाना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। आपको बता दें कि राजन कि किताब उनके सभी भाषणों का संग्रह है। राजन का कहना है कि नौकरशाह गवर्नर के पद को कमज़ोर करने का प्रयास कर रही है लेकिन यह कोई नई बात नहीं है लेकिन इसके परिणाम आने वाले समय में बहुत ही गंभीर हो सकते हैं। इसका सारा दारोमदार राजन ने सरकार और वित्त मंत्रियो पर डाला है। राजन ने कहा कि गवर्नर के पद की भूमिका को सभी सरकारों और वित्त मंत्रियो ने ग़लत तरीके से आँका है।

राजन ने आगे कहा कि किसी भी परिस्थिति में आर्थिक जोखिम से निपटने के लिए उसके प्रबंधन को लेकर गवर्नर की जिमेदारी अन्य किसी भी नौकरशाह या नियामक की तरह नहीं होती और उसे इनकी तुलना में कमतर आंकना गुमराह करने वाला सिद्ध होता है और यह देश हित में नहीं है। यह पहली बार है जब राजन ने आरबीआई के गवर्नर की भूमिका को लेकर खुलकर अपने विचार स्पष्ट किये और वित्त मंत्रालय तथा आरबीआई के मतभेदों को दुनिया के सामने लाये। उनकी इन बातों से यह साफ़ झलकता है कि वित्त मंत्रालय आरबीआई को कमज़ोर करने का निरतंर प्रयास करता है।

नोटबंदी को लेकर भी राजन ने अपनी बात रखी और कहा कि नोटबंदी का फैसला ना तो उनके कार्यकाल का हिस्सा था ना ही वह उससे सहमत थे। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि "फरवरी 2016 में सरकार ने नोटबंदी के बारे में मुझसे राय मांगी जिस पर मैंने मौखिक जवाब दिया। मैंने कहा कि इसके दूरगामी फायदे हो सकते हैं लेकिन इसकी अल्पकालिक आर्थिक लागत उन फायदों से ज़्यादा होगी। इस लक्ष्य को पाने के दूसरे बेहतर तरीके हो सकते हैं।"

राजन ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने उन्हें एक नोट बनाने को कहा था जिसे आरबीआई ने तैयार कर सरकार को सौप दिया। राजन ने बताया कि उस नोट में नोटबंदी को लेकर सारा ब्यौरा दिया गया था जैसे कि नोटबंदी के लिए अनुमानित लागत, उसके फायदे और नुकसान, इसके अलावा सामान लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वैकल्पिक उपाए भी सुझाये गए थे। नोटबंदी के दोनों पहलुओं (फायदे और नुकसान) पर विचार करने के बाद भी अगर नोटबंदी लागू की जाती है तो उस पर होने वाला खर्च, समय और उसके लिए तैयारी का सम्पूर्ण उल्लेख भी उस नोट में किया गया था। राजन ने बताया की उन्होंने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि अगर बिना तैयारी के नोटबंदी लागू कि जाती है तो इसके क्या परिणाम हो सकते हैं। नोट सरकार को देने के बाद सरकार ने इससे जुड़े सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक समिति का गठन किया जिसमे आरबीआई के डिप्टी गवर्नर भी शामिल थे। राजन ने कहा, 'मेरे कार्यकाल के दौरान कभी भी आरबीआई को नोटबंदी पर फैसला लेने के लिए नहीं कहा गया।'

अपने कार्यकाल के आखिरी दिन गवर्नर के तौर पर दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में दिए अपने व्याख्यान पर राजन ने स्पष्टीकरण दिया है। आपको बता दें कि अपने भाषण में राजन ने कहा था कि "ऐसे शक्तिशाली पद का होना खतरनाक है जिसका कानूनी दर्जा कम हो।" इस पर राजन ने कहा कि उस भाषण में उनका कहना था कि "गवर्नर का वेतन कैबिनेट सचिव के बराबर होता है और उसकी नियुक्ति वित्त मंत्री की सलाह पर प्रधानमंत्री करते हैं। सरकारी पदानुक्रम में गवर्नर का पद परिभाषित नहीं है लेकिन यह आमतौर पर इस बात पर सहमति रहती है कि आरबीआई के फैसलों के बारे में केवल प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को ही बताया जाएगा। गवर्नर के पद को देश की आर्थिक नीति के लिए जिम्मेदार सबसे अहम टेक्रोक्रेट के तौर पर परिभाषित किया जाना चाहिए."

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