कानून मंत्री ने विचाराधीन महिला कैदियों के लिए की यह अनुशंसा
कानून मंत्री ने विचाराधीन महिला कैदियों के लिए की यह अनुशंसा
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नई दिल्लीः केंदीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विचाराधीन महिला कैदियों की शीघ्र जमानत देने का सुझाव दिया है। उनके अनुसार, ऐसी विचाराधीन महिला कैदियों को तुरंत रिहा कर दिया जाना चाहिए जिन्होंने उनके ऊपर लगे आरोप में मिलने वाली अधिकतम सजा की एक चौथाई वक्त जेल में व्यतीत कर ली हो। कानून मंत्री ने सीआरपीसी की धारा 436-ए का जिक्र करते हुए कहा, विचाराधीन कैदियों के लिए जमानत के प्रावधानों पर मुझे कुछ खास सुझाव देने हैं।

इस धारा के अनुसार अगर किसी विचाराधीन कैदी ने अपने अपराधों के लिए निर्धारित अधिकतम सजा का आधा भाग जेल में बिता लिया है तो उसे अवश्य ही जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। यह इस बारे में भी प्रावधान करता है कि जिला न्यायाधीशों की अध्यक्षता में समीक्षा समितियां ऐसे मामलों की छानबीन करेंगी जिनमें विचाराधीन कैदी काफी समय से जेल में हैं। रविशंकर प्रसाद ने बताया कि समीक्षा समिति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से काम करने की आवश्यकता है।

इस प्रावधान का और ज्यादा कारगर तरीके से क्रियान्वयन करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि 50 फीसदी मामलों में आरोपी सजा की पूरी अवधि बतौर विचाराधीन कैदी जेल में गुजार देते हैं। उन्होंने कई सारे लंबित आपराधिक अपीलों के बारे में भी चिंता जताई और 10 साल या इससे अधिक समय से लंबित मामलों की त्वरित सुनवाई किये जाने की जरूरत पर जोर दिया। कानून मंत्री प्रसाद यह सब बातें राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण की 17 वीं अखिल भारतीय बैठक के उदघाटन के मौके पर न्यायाधीशों और वकीलों को संबोधित करने के दौरान कह रहे थे।

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