पुरुष भी एक तरह का घूंघट या बुर्का ओढ़े समाज में घूम रहे हैं, रत्ना पाठक
पुरुष भी एक तरह का घूंघट या बुर्का ओढ़े समाज में घूम रहे हैं, रत्ना पाठक
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बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक हम बात कर रहे है निर्देशक प्रकाश झा के बारे में जो के अपनी फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' लेकर आए है फिल्म पर वैसे भी हम काफी घमासान देख चुके है तथा आगे अब यह फिल्म जल्द ही दर्शक भी निहारने वाले है. बता दे कि किस प्रकार से फिल्म पर सेंसर बोर्ड ने अपनी टेड़ी नजर लगाते हुए फिल्म को सर्टिफिकेट देने से भी मना कर दिया था जिसके बाद बॉलीवुड के कई फिल्मकारों ने भी इसका पुरजोर होकर विरोध किया था. सेंसर बोर्ड के चीफ पहलाज निहलानी का भी जबरदस्त विरोध भी किया था.

अब भले ही यह फिल्म यहाँ पर विरोध झेल रही है लेकिन यह फिल्म कही और पर काफी सुर्खियां व अवार्ड समेट रही है. फिल्म में हमे बॉलीवुड की एक दमदार अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह भी नजर आ रही है तथा अपने हाल ही के एक साक्षात्कार में रत्ना ने फिल्म से संबंधित कुछ बयान भी दिए है जैसे कि, प्रकाश झा द्वारा निर्मित और अलंकृता श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' में अहम भूमिका अदा करने वाली अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह का मानना है कि, आजकल महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी एक तरह का घूंघट या बुर्का ओढ़े समाज में घूम रहे हैं.

रत्ना पाठक शाह कहती हैं समाज में कई विषयों पर पुरुष अपनी राय या तो नहीं देते या देने से बचते हैं. उनकी यह हरकत भी एक तरह से बुर्का पहनने जैसी ही है. अभिनेत्री की हालिया फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पास अटक गयी थी. उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि ‘उदार’ शब्द ने आज एक नकारात्मक अर्थ ले लिया है.  
 

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