रैनबैक्सी के पूर्व मालिक फिर विवादों में
रैनबैक्सी के पूर्व मालिक फिर विवादों में
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मशहूर दवा कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व मालिकों मलविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह को हाल ही में हर्जाने के रूप में एक बड़ा झटका मिला है . जी हाँ, बताया जा रहा है कि सिंगापूर की आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के द्वारा जापानी फार्मा कंपनी दायची सांक्यो को 2562.78 करोड़ रुपये का हर्जाना देने के आदेश दिए गए है. बताया जा रहा है कि ट्रिब्यूनल ने यह कार्रवाई अपनी हिस्सेदारी की बिक्री की जानकारी जापानी फर्म से छुपाने को लेकर की गई है.

क्या है मामला : वर्ष 2008 के दोरान सिंह बंधु के द्वारा रैनबैक्सी में अपनी पूरी हिस्सेदारी (35 फीसदी) दायची को 2.4 अरब डॉलर में बेचीं गई थी, जिसकी कीमत आज करीब 156 अरब रुपये है. जबकि मामले में रैनबैक्सी को जानकारी को गलत तरीके से पेश किए जाने के लिए अमेरिकी न्यायिक विभाग को 50 करोड़ डॉलर का भुगतान करना पड़ा. इसके बाद दायची के द्वारा 2013 में सिंगापुर में आर्बिट्रेशन का मामला दर्ज कराया गया.

इस दौरान भी जानकारी को छुपाने की बात सामने आई. इसके अलावा यह बताया जा रहा है कि यची को रैनबैक्सी में मेजॉरिटी हिस्सेदारी को हासिल करने के लिए करीब 22 हजार करोड़ रुपये का खर्च भी वहन करना पड़ा. इतना करने के बाद वर्ष 2014 में दायची के द्वारा भी रैनबैक्सी को सनफार्मा को बेच दिया गया. इसके बाद वर्ष 2015 में सनफार्मा ने इस कंपनी का खुद में विलय कर लिया.

अब मामले में यह जानकारी सामने आ रही है कि जहाँ मलविंदर सिंह फोर्टिस हेल्थकेयर के चेयरमैन पद पर है तो वहीँ शिविंदर मोहन सिंह राधा स्वामी सत्संग से जुड़कर संन्यासी हो चुके हैं. ऐसे में कह सकते हैं कि ताजा आदेश से मलविंदर ही प्रभावित होंगे। जब मलविंदर से संपर्क किया गया तो उन्होंने मामले पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया।

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