रामनवमी: त्रेता युग का 'खांडव वन', जहाँ ठहरे थे राम
रामनवमी: त्रेता युग का 'खांडव वन', जहाँ ठहरे थे राम
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खंडवा: प्राचीन मान्यताओं के अनुसार मध्यप्रदेश के खंडवा शहर का प्राचीन नाम खांडववन था जो मुगलों और अंग्रेजो के आने से बोलचाल में धीरे धीरे खंडवा हो गया. मान्यतानुसार श्रीरामजी के वनवास के समय, यहाँ सीता माता को प्यास लगी थी तथा रामजी ने यहाँ तीर मारकर एक कुआँ बना दिया और उस कुँए को रामेश्वर कुंड  के नाम से जाना जाता है जो खंडवा के रामेश्वर नगर में नवचंडी माता मंदिर के पास स्थित है. 

रामेश्वर कुंड के पास स्थित रामबाण कुएं को लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता यहां से गुजरे थे. माता सीता को प्यास लगने पर उन्होंने यहां बाण चलाया था. यह बाण पाताल में चला गया और जलधारा निकली. सीताजी ने जहां पानी पिया वहां सीता बावड़ी बनी हुई है, वहीं रामबाण कुएं का पानी कभी नहीं सूखता. कुटिया में बना है प्राचीन राम मंदिर रामेश्वर कुंड के पास कुटिया में राम मंदिर बना हुआ है, यह राम मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो रहा है. मंदिर में एक प्राचीन मूर्ति स्थापित है, इस एक ही मूर्ति में श्रीराम व सीता दोनों की आकृतियां हैं.

शहर के तीन धार्मिक स्थलों की मान्यताएं त्रेता युग और श्रीराम से जुड़ी हुई हैं, यहां तुलजा भवानी का एक प्राचीन मंदिर भी है, जिसके बारे में मान्यता है कि श्रीराम ने यहाँ आकर पूजा-अर्चना की थी और जूना राम मंदिर स्थल पर उनके ठहरने की कथा है. इन तीनो ही स्थलों पर रामनवमी के दिन श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ती है.

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