आप सभी को बता दें कि आज ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया पर रम्भा तृतीया का व्रत किया जाएगा. ऐसे में इस व्रत को सुहागन स्त्रियों के दवारा अपने सुहाग की लम्बी उम्र व संतान सुख की कामना के लिए किया जाता है. आप सभी को बता दें कि हर साल इस व्रत को ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया के दिन किया जाता है. ऐसे में शास्त्रों के अनुसार रम्भा तृतीया व्रत या रंभा तीज का व्रत शीघ्र फलदायी माना जाता है और इस व्रत को कुंआरी कन्याओं के दवारा अपने लिए मनपसंद पति पाने की इच्छा की कामना को लेकर किया जाता है. ऐसे में इस व्रत को विशेष रुप से महिलाएं करती है और इस व्रत का नाम रम्भा तृतीया इस लिए रखा गया क्योंकि इस व्रत को रम्भा ने सौभाग्य की कामना के लिए लिए किया था.
कहा जाता है रम्भा तृतीया व्रत के दिन सुबह स्नान कर साफ कपडें धारण कर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान सूर्यदेव के लिए दीपक जलाया जाता है और इस व्रत में विवाहित स्त्रियां पूजा में गेहूं, अनाज और फूल से लक्ष्मीजी की पूजा की जाती हैं. इसी के साथ इस व्रत को करने से लक्ष्मीजी तथा माता सती प्रसन्न होती है इसके साथ ही इस दिन अप्सरा रम्भा की भी पूजा करते हैं. वहीं शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए 14 रत्नों में से एक रम्भा भी थीं. रम्भा बेहद सुंदर थी इस पूजा में विवाहित स्त्रियां चूड़ियों के जोड़े की पूजा करती हैं, जिसे रम्भा और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है.
आपको बता दें कि इस पूजन में ॐ महाकाल्यै नम:, ॐ महालक्ष्म्यै नम:, ॐ महासरस्वत्यै नम: आदि मंत्रों का जाप होता है और रम्भा तृतीया का व्रत शिव-पार्वतीजी की कृपा पाने, गणेशजी जैसी बुद्धिमान संतान तथा अपने सुहाग की रक्षा के लिए करते हैं.
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