अयोध्या: अयोध्या के जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई वाले रामालय ट्रस्ट ने राममंदिर पर बड़ा फैसला किया गया है. जंहा मोदी सरकार से मांग की है कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर अयोध्या एक्ट के तहत राममंदिर निर्माण में देश के चारों शंकराचार्य, पांच वैष्णवाचार्य और 13 अखाड़े ही प्रभु राम का शास्त्रोक्त मंदिर से लेकर पूजा विधान आदि का नीति निर्धारण करें. जिसका क्रियान्वयन महंत नृत्यगोपाल दास की अगुवाई में कार्यकारी मंडल करे, रामालय ट्रस्ट को कोई आपत्ति नहीं होगी. जंहा यह भी कहा जा रहा है कि कार्यकारी मंडल सरकार अपने हिसाब से तय करे, चाहे तो विहिप के संत, संघ, सरकार व प्रशासन की टीम बना ले, लेकिन यदि शीर्ष संतों की उपेक्षा करके राममंदिर बनाने की रणनीति बनीं तो, शंकाराचार्यों-वैष्णवाचार्यों व अखाड़ों के साथ मिलकर विरोध किया जाएगा.
सूत्रों से मिली जानकरी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट से राममंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट व गाइडलाइन तय करने की समय सीमा समाप्त होने में अब महज 20 दिन शेष हैं. विहिप-संघ और उससे जुड़े संतों का रामनगरी अयोध्या से लेकर प्रयागराज के संगम तीरे जमावड़ा हो चुका है. इसबीच प्रयागराज में संगम तीरे जुटे शीर्ष संत-धर्माचार्यों के बीच राममंदिर बनाने का वैधानिक दावा करने वाले रामालय ट्रस्ट ने भी अपनी रणनीति बदल ली है.
जंहा इस बात पर गौर फ़रमाया गया है कि पूरे मामले पर जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य व ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बीते रविवार यानी 19 जनवरी 2020 को श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास के प्रति अपने नरम रुख का खुलासा किया. कहा कि रामालय ट्रस्ट सिर्फ इतना चाहता है कि राममंदिर और पूजा का नीति निर्धारण शास्त्रोक्त विधि विधान से सक्षण आचार्य ही करें.
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