रमज़ान की रातों में पढ़ी जाती है ख़ास नमाज़
रमज़ान की रातों में पढ़ी जाती है ख़ास नमाज़
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जैसे आजकल सभी लोग दिन और तारिख ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से देखकर चलते हैं, वैसे ही मुस्लमान हिजरी कैलेंडर के अनुसार चलते हैं. इस कैलेंडर का नौवा महीना रमज़ान होता है, जिसे अरबी भाषा में रमदान कहते हैं. पूरी दुनिया में फैले सभी मुस्लिम भाइयों के लिए रमज़ान का पाक महीना एक बड़ा उत्सव होता है, जिसे बरकती माना जाता है. कहा जाता है कि इस महीने में आसमान से अल्लाह की तरफ से रहमतें और बरकतें आती हैं.

रमज़ान के दौरान रात में ख़ास नमाज़ पढ़ी जाती है जिसे तरावीह कहा जाता है. इसमें पूरे कुरआन के सिपारों (अध्याय) को एक के बाद एक करके दोहराया जाता है. इस नमाज़ में 20 रकातें होती हैं, जिसे इस्लाम के दूसरे खलीफा हजरत उमर फारूख के जमाने से दोहराया जा रहा है. इसमें हाफ़िज़ द्वारा पूरा कुरआन पाक सुनाया जाता है.

बताया जाता है कि जान बूझकर तरावीह छोड़ने को बहुत बड़ा गुनाह माना गया है. मजबूरी में मसलन, बुढ़ापे की कमजोरी, मुसाफिर और बीमारी की हालत में यदि तरावीह ना पढ़ी जाए, तो उसकी माफ़ी मंजूर की जाती है. यदि किसी मस्जिद में तरावीह के दौरान 29 या 30 रोज़े के पहले ही पूरा कुरआन मुकम्मल हो जाता है, तब भी पुरे महीने कुरआन सुनाई जाती है. बताया जाता है कि पैगम्बर मोहम्मद ने तरावीह की शुरुआत की थी, इससे पहले की उम्मतें तरावीह नहीं पढ़ती थी.

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