जब पढ़ते-पढ़ते अचानक कम हो गई थी राम विलास पासवान की आँखों की रोशनी
जब पढ़ते-पढ़ते अचानक कम हो गई थी राम विलास पासवान की आँखों की रोशनी
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आज लोजपा अध्यक्ष राम विलास पासवान की पुण्यतिथि है आज भले ही राम विलास पासवान हमारे बीच नहीं है, मगर उनकी जिंदगी जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब उन्हें संसदीय लोकतंत्र पर ज्यादा विश्वास नहीं था। बजाय इसके उनके मन में समाज के दबे एवं पिछड़ों को इंसाफ दिलाने के लिए नक्सलवाद के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा था। यह आकर्षण इतना मजबूत था कि पहले ही चुनाव में जीतने के बाद भी संसदीय लोकतंत्र में मन नहीं रम रहा था। भला हो उस जेपी आंदोलन का जिसके सर्वधर्म तथा सर्वजातीय स्वरूप ने उनके भीतर चल रहे द्वंद को बाहर निकाल फेंका तथा फिर कभी लोकतंत्र से विचलित नहीं होने दिया।

वही राम विलास पासवान की जिंदगी कई अनुभवों से भरी रही। चार नदियों से घिरे दलितों के गांव की अधिकांश उपजाऊ जमीन बड़ी जातियों के व्यक्तियों के कब्जे में थी, जो यहां खेती करने एवं काटने आते थे। ऐसा नहीं था कि पासवान को मूलभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना पड़ा था मगर आसपास ऐसी स्थिति देखने को बहुत थे। पिताजी के मन में बेटे को पढ़ाने की ललक ऐसी कि उसके लिए कुछ भी करने को तैयार। पहला हर्फ गांव के दरोगा चाचा के मदरसे में सीखा। 

3 महीने पश्चात् ही तेज धार वाली नदी के बहाव में मदरसा डूब गया। फिर दो नदी पार कर प्रतिदिन कई किलोमीटर दूर के स्कूल से थोड़ा पढ़ना लिखना सीख गये। जल्दी ही शहर के हरिजन छात्रवास तक पहुंच बनी, फिर तो वजीफे की छोटी रकम से दूर तक का मार्ग तय कर लिया। पढ़ाई होती गई एवं आगे बढ़ने का मन भी बढ़ता गया। एक अड़चन अवश्य आई, हॉस्टल में रहते हुए आंखों की रोशनी कम होने लगी। चिकित्सकों को दिखाया तो लालटेन की रोशनी में पढ़ने को इंकार कर दिया। तब पासवान की दूसरी शक्ति जाग्रत हुई। श्रवण व स्मरण शक्ति कई गुना बढ़ गई। वह कक्षा में बैठते एवं एकाग्रता से सुनते, वहीं याद भी करते जाते। इसके साथ ही हॉस्टल में रहते हुए फिल्मों का चस्का भी बहुत लगा। लिहाजा घर से आए अनाज के कुछ भाग को सामने के दुकानदार के पास बेचकर मूवी का शौक भी पूरा करने लगे। खैर पढ़ाई पूरी होने लगी तो घर से नौकरी का जोर भी बढ़ने लगा। दरोगा बनने की परीक्षा दी पर उत्तीर्ण न हो सके। मगर कुछ ही दिन पश्चात् डीएसपी की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए। घर में खुशी का माहौल था मगर पासवान के दिमाग में उस समय भी कुछ और ही चल रहा था।

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