आज है राम नवमी, इस तरह करें रामचरितमानस की पवित्र चौपाई सिद्ध
आज है राम नवमी, इस तरह करें रामचरितमानस की पवित्र चौपाई सिद्ध
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आप सभी को बता दें कि आज रामनवमी है. ऐसे में रामचरितमानस की पावन चौपाईयों को रामनवमी के शुभ दिन अभिमंत्रित करने का तरीका यह है कि रात्रि को 10 बजे के बाद अष्टांग हवन के द्वारा इन्हें सिद्ध करें. कहा जाता है भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मंत्र-शक्ति प्रदान की है और इसी वजह से भगवान शंकर को साक्षी बनाकर इनका श्रद्धा से जप करना चाहिए तो लाभ होता है. आइए जानते हैं क्या होती है अष्टांग हवन सामग्री.

अष्टांग हवन सामग्री- 1.चन्दन का बुरादा, 2. तिल, 3. शुद्ध घी, 4. चीनी, 5. अगर, 6. तगर, 7. कपूर, 8. शुद्ध केसर, 9. नागरमोथा, 10. पंचमेवा, 11. जौ और 12. चावल। * कहते हैं जिस उद्देश्य के लिए जो चौपाई निर्धारित है उसे सिद्ध करने के लिए हवन सामग्री द्वारा उसकी 108 बार आहुति देना चाहिए और 108 की संख्या के पीछे मान्य‍ता है कि हमारे शरीर में 108 नाड़ियां है अत: प्रत्येक मंत्र या चौपाई को 108 बार करने का विधान है. इसी के साथ यह हवन केवल रामनवमी के दिन करना चाहिए. कहते हैं शुद्ध मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर अग्नि रखकर उसमें आहुति देनी चाहिए और हर एक आहुति में चौपाई बोलकर अंत में ‘स्वाहा’ बोलना चाहिए. इसी के साथ 108 आहुति के लिए एक सेर (80 तोला) सामग्री बनानी चाहिए और कोई चीज कम-ज्यादा हो तो कोई आपत्ति नहीं मानी जाती है.

आप चाहे तो उसमे पंचमेवा में पिश्ता, बादाम, किशमिश (द्राक्षा), अखरोट और काजू ले सकते हैं और इनमें से कोई चीज न मिले तो उसके बदले मिश्री मिला सकते हैं. वहीं शुद्ध केसर 4 आने भर ही डालना पर्याप्त है और ध्यान रहे कि हवन करते समय माला रखना उचित होगा. वैन 108 की संख्या गिनने के लिए है और बैठने के लिए आसन ऊन का या कुश का होना चाहिए. वहीं अगर सूती कपड़े का हो तो वह धोया हुआ पवित्र होना चाहिए. इसी के साथ अगर चौपाई या दोहा लंकाकांड की हो तो उसे शनिवार को हवन करके करना चाहिए और दूसरे कांडों के चौपाई-दोहे किसी भी दिन हवन करके सिद्ध किए जा सकते हैं. कहा जाता है इसमें चौपाई एक बार बोलकर जहां बैठें, वहां अपने आसन के चारों ओर चौकोर रेखा जल या कोयले से खींच लेनी चाहिए और केवल एक दिन हवन करने से वह चौपाई सिद्ध मानी जाती है और इसके बाद जब तक कार्य सफल न हो, तब तक उस चौपाई का प्रतिदिन कम-से-कम 108 बार प्रातःकाल या रात्रि को, जब सुविधा हो, जप करना फलदायक माना जाता है.

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