नई दिल्ली : अयोध्या राम मंदिर मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 6 मार्च को अहम सुनवाई हुई. हर किसी को उम्मीद थी कि आज इस पर कोई बड़ा फैसला आ जाएगा. लेकिन ऐसा नही हो सका. कोर्ट द्वारा इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया है और इसके साथ ही कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को भी कहा है.
सुनवाई में हिंदू महासभा ने अपना पक्ष रखा. जहां मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने बताया कि यह विवाद दो धर्मों की पूजा अर्चना से जुड़ा हुआ है और इसे कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ के जरिये सुलझाने की पहल होनी चाहिए. जस्टिस बोबडे ने कहा है कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन करना चाहिए. वहीं आपको बता दें कि हिंदू महासभा मध्यस्थता के खिलाफ है. जबकि निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए राजी बताई जा रहे हैं.
दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में बताया कि सुप्रीम कोर्ट ही तय करे कि बातचीत कैसे हो ? इस मामले में वहीं सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने बताया कि धार्मिक भावना पर किसी भी तरह का समझौता नहीं हो सकता है और हमारी भी भावनाएं हैं. वहीं जस्टिस बोबडे ने समिति गठन को लेकर कहा कि इसका असर जनता पर भी पड़ेगा और सियासत पर भी.
जानिए मध्यस्थता हुई तो क्या होगा ?
देह की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इस मामले में उसका यह मानना है कि अगर मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू होती है तो इसके घटनाक्रमों पर मीडिया रिपोर्टिंग पूरी तरह से बैन हो जाएगी. अदालत ने आगे बताया कि यह कोई गैग ऑर्डर (न बोलने देने का आदेश) नहीं है बल्कि सुझाव है कि रिपोर्टिंग नहीं हो. इससे पहले 26 फरवरी को कोर्ट ने कहा था कि वह अगली सुनवाई में यह फैसला करेंगे कि इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए या नहीं. लेकिन मामला फ़िलहाल तो मध्यस्थता के लिए भेज दिया है.
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