देशभर में लगे लॉक डाउन के कारण हर कोई इस बात से परेशान था की आने वाले महीनो में त्योहारों की झड़ी लग जायेगी तब कोरोना के बीच यह त्यौहार कैसे मनाये जायेंगे| ऐसे में देश के बच्चों ने कई सारी राखियां बनाई है और बच्चो की यह बनाई गयी 15 हजार से ज्यादा राखियां सीमाओं पर तैनात जवानों को भेजी जाएंगी। वहीं इस बार राखियों में पहाड़ की संस्कृति और कला ऐंपण आकर्षण का केंद्र हों सकते है। इसके अलावा घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी के बच्चों ने राखियां बनानी प्रारम्भ कर दी हैं। इस सोसायटी के बच्चे बीते पांच साल से राखियां बना रहे हैं। वहीं इस साल भी संस्था की ओर से धान, रिंगाल, जूट के धागे और चीड़ के स्यूंते से राखियां बनाई जा रही हैं।
इसके साथ ही रक्षा धागे ओर रुद्राक्ष से बनी राखी भी बनाई जाएंगी, जो बहुत आकर्षक लग सकती हैं। इसके संस्था के अध्यक्ष अजय ओली ने बताया इस साल राखियों में ऐंपण का उपयोग भी किया जाएगा। वहीं दिव्या रस्तोगी ऐंपण को रक्षा धागे में पिरोना और पूजा भट्ट पेपर आर्ट के साथ ही मोतियों की बनी राखियों को बनाना सिखा रही हैं। वहीं हर साल की तरह इस साल भी सेना के जवानों को राखियां भेजी जा सकती है ।वहीं उन्होंने बताया बच्चे 15 हजार से ज्यादा जवानों के लिए राखियां भजेंगे।
उन्होंने कहा कि अर्निंग विद लर्निंग का यह कांसेप्ट बच्चों में कौशल विकास और हुनर को बढ़ाता है। साथ ही उन्होंने बच्चों के हाथों की बनी राखियों को खरीदकर निर्धन और बेसहारा बच्चों का मनोबल बढ़ाने का अनुरोध किया है। इसके अलावा घनश्याम ओली सोसायटी के बच्चे बीते पांच सालों से अपने हाथों से राखियां बनाकर सेना के जवानों को भेज रहे हैं। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीडीएस जनरल विपिन रावत और बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन भी बच्चों के हाथों की बनी राखियों की प्रशंसा कर चुके हैं।
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