शुभ समय में बांघे कलाई पर राखी, गुरूवार को मनेगा रक्षाबंधन त्योहार
शुभ समय में बांघे कलाई पर राखी, गुरूवार को मनेगा रक्षाबंधन त्योहार
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गुरूवार 18 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जायेगा। ज्योतिषियों के अनुसार बहनों को शुभ मुर्हूत में ही अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधना चाहिये। शुभ मुर्हूत में बांधी गई राखी न केवल शुभ फल देती वहीं भाईयों को किसी विपरित संकट से भी बचाती है। 

श्रावण माह की पूर्णिमा के अवसर पर देशभर में भाई बहन की आत्मीयता का यह त्योहार मनाने की परंपरा रही है। इस बार यह त्योहार 18 अगस्त गुरूवार को मनाया जायेगा। पूर्णिमा तो 17 अगस्त बुधवार को ही लग गई है लेकिन भद्रा रहने के कारण रक्षाबंधन का त्योहार गुरूवार को ही मनाना शास्त्रोक्त रूप से श्रेष्ठ रहेगा। 

ब्राह्मण बदलें यज्ञोपवित
ज्योतिषियों के अनुसार रक्षाबंधन पर ब्राह्मणों को श्रावणी उपाकर्म करने का विधान है। इस दौरान ब्राह्मणों को विधि विधान के साथ यज्ञोपवित बदलना चाहिये। इसके लिये प्रातःकाल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान आदि करने के साथ ही यज्ञोपवित बदलने का विधान शास्त्रों में उल्लेखित किया गया है। यदि किसी पवित्र जलाशय या नदी के तट पर श्रावणी उपाकर्म के कार्यक्रम होते है तो इसमें भी शामिल होकर यज्ञोपवित बदला जा सकता है।

राखी बांधने के शुभ मुर्हूत
राखी बांधने का सबसे शुभ मुर्हूत है तो वह गोधुली वेला। फिर भी इस बार शाम 5.55 से शाम 7.30 बजे तक राखी बांधने का लाभकारी मुर्हूत है। इसके अलावा रात 9 से 10.30 बजे तक भी राखी बांधी जा सकती है। दोपहर में राखी बांधने का शुभ मुर्हूत 1.30 से दोपहर 3.30 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा।

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