नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा है कि किसान 70 वर्षों से घाटे की खेती कर रहा है। किसान को एक फसल की कुर्बानी देनी पड़ेगी और इसके लिए देश का किसान तैयार हैं। यदि फसल अधिक मजदूर लगाकर काटनी पड़ेगी तो भी काटेगा, लेकिन फसल कटाई के कारण आंदोलन कमजोर नहीं होगा।
राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा था कि केंद्र सरकार किसी भी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान फसल की कटाई के लिए वापस लौटेंगे। अगर वे मजबूर करेंगे तो हम अपनी फसलों को जला डालेंगे। उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि विरोध 2 महीने में समाप्त हो जाएगा। हम फसल के साथ-साथ विरोध करेंगे। इससे पहले हरियाणा के हिसार जिले के खरकपुनियों में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा था कि फसलों की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है, किन्तु ईंधन की कीमतें बढ़ गई हैं। केंद्र ने स्थिति को तबाह कर दिया है, अगर जरूरत पड़ी तो हम अपने ट्रैक्टरों को पश्चिम बंगाल में भी ले जाएंगे, क्योंकि वहां पर भी किसानों को MSP नहीं मिल रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार, किसानों के सब्र का इम्तिहान ले रही है। उन्होंने कहा कि कानून रद्द होने तक किसान कहीं जाने वाला नहीं है। कानून वापसी से ही किसानों की घर वापसी संभव है। इसके साथ ही सरकार को MSP पर कानून भी बनाना होगा।
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