अपमान झेलने के बाद भी डाॅ. आंबेडकर ने नहीं की देश छोड़ने की बात
अपमान झेलने के बाद भी डाॅ. आंबेडकर ने नहीं की देश छोड़ने की बात
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नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र आज से प्रारंभ हुआ। संसद के इस सत्र के पहले दिन की कार्रवाई राष्ट्रगान और  लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन  द्वारा संविधान दिवस पर संविधान निर्माण और संविधान के सम्मान में पत्र वाचन के साथ हुई। इसके बाद केंद्र के मंत्रियों ने सदन को संबोधित करना प्रारंभ कर दिया। इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि विविधता वाले भारत को जोड़कर रखने में संविधान का महत्वपूर्ण योगदान है।  

आंबेडकर ने अपमान झेलने के बाद भी देश को एक रखने के लिए प्रयास किया और भारत छोड़ने का प्रयास नहीं किया।  उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं की। दरअसल केंद्रीय मंत्री सिंह ने अप्रत्यक्ष तौर पर आमिर खान के बयान पर टिप्पणी की । इस मसले पर हंगामा होने लगा मगर विरोध होते देख लोकसभा अध्यक्ष सांसद सुमित्रा  महाजन ने सांसदों को रोक दिया। डाॅ. भीमराव आंबेडकर की 125 वीं जयंती   पर उन्होंने उनके योगदान को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डाॅ. आंबेडकर को केवल दलितों और अन्य संकीर्ण दायरे में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के भारत को दिए गए योगदान को भी माना। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पं. नेहरू ने जनतंत्र को मजबूत करने का कार्य किया। गृहमंत्री के बयान के बाद नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने  सांसदों को संबोधित किया। उनके संबोधन के ही साथ विरोध के स्वर तेज हो गए। उन्होंने सरकार को विभिन्न मसलों पर चर्चा करने और अराक्षण के मसले को  लेकर घेरा। उन्होंने कहा कि हम लोग यहीं के हैं। मार खा खाकर हम यहीं के हो गए हैं। आप लोग बाहर सके आए हैं। इस मसले पर जमकर हंगामा हुआ और विपक्ष ने मल्लिकार्जुन का मेजें थपथपाकर समर्थन किया। 

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