CDS बिपिन रावत की याद में रक्षा मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला
CDS बिपिन रावत की याद में रक्षा मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला
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आज स्वर्णिम विजय पर्व (Swarnim Vijay Parv) के उद्घाटन समारोह में बोलते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने कहा, 'आज हम सभी इंडिया गेट पर 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध (India Pakistan War) के स्वर्णिम विजय वर्ष के अंतर्गत आयोजित विजय पर्व को मनाने के लिए इक्टठे हुए हैं। यह पर्व भारतीय सेनाओं (Indian Army) की उस शानदार जीत के उपलक्ष्य में है, जिसने दक्षिण एशिया के इतिहास और भूगोल दोनों को बदल कर रख दिया।'

इसी के साथ आगे उन्होंने कहा, 'यह आयोजन और भी भव्य और दिव्य रूप में करने का फैसला लिया गया था, लेकिन देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के असामयिक निधन के बाद इसे सादगी के साथ मानने का निर्णय लिया गया है। आज के अवसर मैं उन्हें भी स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।' इसी के साथ आगे उन्होंने कहा, 'आज के दिन मैं भारतीय सेना के हर उस सैनिक के शौर्य, पराक्रम और बलिदान को नमन करता हूं, जिनकी वजह से 1971 के युद्ध मे भारत ने विजय हासिल की। यह देश उन सभी वीरों के त्याग और बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा।'

इसी के साथ उन्होंने आगे कहा, 'आप सभी शायद मार्टिन लूथर किंग जूनियर के उस कथन से अवगत होंगे, जिसमें उन्होंने कहा था, कि ‘Injustice anywhere is a threat to justice everywhere’ यानी किसी भी जगह अगर अन्याय हो रहा हैं तो वो दूसरी जगह व्याप्त न्याय के लिए भी खतरा पैदा करता है। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि हमारे बंगाली बहनों और भाइयों का आखिर क्या कसूर था? बस यही न कि वे अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे? अपनी कला, संस्कृति और भाषा के संरक्षण की मांग कर रहे थे? वह राजनीति और शासन में अपने उचित प्रतिनिधित्व की बात कर रहे थे?' वहीं आगे रक्षा मंत्री ने कहा, 'हमारे बंगाली बहनों और भाइयों पर होने वाला अन्याय और अत्याचार किसी न किसी रूप में संपूर्ण मानवता के लिए खतरा था। ऐसे में पूर्वी पाकिस्तान की जनता को उस अन्याय और शोषण से मुक्ति दिलाना हमारा राजधर्म भी था, राष्ट्रधर्म भी था और सैन्यधर्म भी था। यह युद्ध हमारी नैतिकता, हमारी लोकतांत्रिक परम्पराओं और न्यायपूर्ण व्यवहार का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं। ऐसा इतिहास मे कम ही देखने को मिलेगा कि कोई देश किसी दूसरे देश को युद्ध मे हराने के बाद, उसपर अपना प्रभुत्व न जताए बल्कि वहां के राजनीतिक प्रतिनिधि को सत्ता सौंप दे।'

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा, 'भारत ने बांग्लादेश मे लोकतंत्र की स्थापना मे अपना योगदान दिया और आज हमे इस बात की अत्यंत प्रसन्नता है कि पिछले 50 सालों मे बांग्लादेश ने विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है जो बाकी दुनिया के लिए एक प्रेरणा का विषय है। यह विजय पर्व किसी खास ऑपरेशन का ही नहीं, बल्कि देशवासियों और हमारी सेनाओं की अंतरात्मा में बसे विजय के भाव, जो रानी लक्ष्मीबाई से लेकर मेजर सोमनाथ शर्मा, वीर अब्दुल हमीद और कैप्टन विक्रम बत्रा और आज हमारी सेनाओं के सभी अंगों में विद्यमान है, उसका महोत्सव है।'

इसी के साथ उन्होंने कहा, 'यह युद्द हमें बताता है कि मजहब के आधार पर हुआ भारत का विभाजन एक ऐतिहासिक गलती थी। पाकिस्तान का जन्म एक मजहब के नाम पर हुआ मगर वह एक नहीं रह सका। 1971 की हार के बाद हमारा पड़ोसी देश भारत में लगातार एक छद्म युद्द लड़ रहा है। भारत विरोध की भावना पाकिस्तान में कितनी बलवती है इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि जिन आक्रांताओं ने भारत पर हमले किए उनके नाम पर वे अपनी मिसाइलों के नाम रखते हैं। गोरी, गजनवी, अब्दाली! उनसे पूछना चाहिए कि इन्होंने तो आज के पाकिस्तानी भूभाग पर भी हमला किया था। जबकि भारत की मिसाइलों के नाम होते हैं आकाश, पृथ्वी, अग्नि। अब तो हमारी एक मिसाइल का नाम संत भी रखा गया है। कल ही उसका एक सफल परीक्षण हुआ है।'

इस दौरान उन्होंने यह भी कहा, ‘आतंकवाद को बढ़ावा देकर पाकिस्तान भारत को तोड़ना चाहता है। भारतीय सेनाओं ने 1971 में उसके मंसूबों को नाकाम किया और अब आतंकवाद को भी जड़ से खत्म करने की दिशा में काम चल रहा है। हम प्रत्यक्ष युद्द में जीत दर्ज कर चुके हैं, परोक्ष युद्ध में भी विजय हमारी ही होगी। हमारे सशस्त्र बल को किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रखना हमारा उद्देश्य है और इस दिशा में हम बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ‘विजय पर्व’ जैसे उत्सव हमें इसी राह पर और तेजी से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।’

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