टिकट काटने और सीटी मारने के स्टाइल ने रजनी को दिलाई फिल्म....
टिकट काटने और सीटी मारने के स्टाइल ने रजनी को दिलाई फिल्म....
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अभिनेता रजनीकांत की लोकप्रियता का अंदाजा तो इसी बात से चल जाता है कि उनकी नई मूवी कबाली के रिलीज पर तमिल नाडु में दो दिनों की छुट्टी घोषित कर दी गई। शुक्रवार को कबाली को दुनियाभर के हजारो स्क्रीन्स पर एक साथ रिलीज हुई है. चेन्नई के काशी थिएटर में फर्स्ट शो सुबह 4 बजे का रखा गया था। कई दिनों पहले से टिकट बुकिंग शुरु थी, इसके बाद भी आधी रात तक लोग टिकट के लिए लाइन में खड़े रहे थे।

वैसे देखा जाए तो आज भले ही रजनीकांत सुपरस्टार हों लेकिन बेहद कम लोग ही जानते हैं कि 12 दिसंबर, 1950 को बेंगलुरु की एक मराठी फैमिली में जन्में रजनीकांत सुपरस्टार बनने से पहले कभी कुली और प्लम्बर का काम भी कर चुके हैं। रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनके पिता रामोजी राव गायकवाड़ एक पुलिस कांस्टेबल थे। मां जीजाबाई की मौत के बाद चार भाई-बहनों में सबसे छोटे रजनी के घर की माली हालत ठीक नहीं थी। ऐसे में फैमिली को सपोर्ट करने के लिए उन्हें कुली का काम भी करना पड़ा।

ज्यादातर लोग जानते हैं कि एक्टर बनने से पहले रजनीकांत बस कंडक्टर हुआ करते थे, लेकिन फिल्मों में उनकी एंट्री कैसे हुई इस बात से कई लोग अब भी अंजान हैं। एक कंडक्टर के तौर पर भी रजनी का अंदाज़ किसी स्टार से कम नहीं था। वो अपनी अलग तरह से टिकट काटने और सीटी मारने की स्टाइल को लेकर यात्रियों और दूसरे बस कंडक्टरों के बीच काफी फेमस थे। रजनी के दोस्तों ने उनके स्टाइल को देखकर ही उन्हें काम छोड़ कर मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने को कहा। यहां इंस्टिट्यूट में एक नाटक के दौरान फिल्म डायरेक्टर के. बालाचंदर की नज़र रजनीकांत पर पड़ी और वो उनसे इतना प्रभावित हुए कि अपनी फिल्म में काम करने का मौका दे दिया।

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