IPL में संजू की वजह से दूसरे खिताब की तरफ बढ़ रही राजस्थान रॉयल्स
IPL में संजू की वजह से दूसरे खिताब की तरफ बढ़ रही राजस्थान रॉयल्स
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IPL ने भारत को कई युवा और धाकड़ खिलाड़ी दिए हैं, उनमें से एक नाम राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन का भी कहा जा रहा है. वर्ष 2013 में राजस्थान टीम के साथ अपने IPL करियर की शुरुआत करने वाले संजू ने बीते 9 वर्षों  के बीच अपने खेल से खासकर बल्लेबाजी से सबको प्रभावित कर दिया है. वहीं IPL-15 में उनकी कप्तानी भी चर्चा का विषय बन चुकी है. बीते वर्ष पहली बार राजस्थान के कप्तान चुने गए संजू ने पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए, इस बार प्रत्येक कदम बहुत बारीकी के साथ रखा है, परिणामस्वरुप जहां विगत साल राजस्थान 14 मुकाबलों में महज 5 में ही जीत दर्ज करने में सफल हो चुकी है, वहीं वर्तमान सीजन में 13 मैचों में से 8 में जीत अपने नाम कर, RR की टीम प्लेऑफ के करीब पहुंच गई है. वहीं संजू ने इस सीजन 13 मैचों में 153.41 की स्ट्राइक रेट से 359 रन जड़ दिए है। इसमें दो अर्धशतक भी शामिल हैं। वहीं राजस्थान ने IPL के पहले संस्करण का का खिताब भी अपने नाम किया लेकिन इसके बाद वह अभी तक एक बार भी खिताब नहीं जीत सकी है। जबकि 2019 के बाद से राजस्थान प्लेऑफ में स्थान बनाने के लिए भी तरस रही है, ऐसे में संजू के युवा कंधों पर टीम को दूसरा IPL खिताब दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी बन चुकी है।

कप्तानी में परिपक्वता की धोनी से तुलना: लखनऊ के साथ हुए अंतिम मैच के उपरांत  प्रेसेंटर हर्षा भोगले ने संजू को धोनी की तरह प्रेजेंटेशन देने की बात को मंज़ूरी दी है, क्योंकि बहुत हद तक दोनों खिलाड़ी अपने शांत व सरल व्यक्तित्व के लिए पहचाने जाते है, ख़राब अंपायरिंग की वजह से राजस्थान को नुकसान झेलने के बावजूद, वह मैदान पर मुस्कुराते हुए चहेरे के साथ ही दिखाई दिए, और इसका असर सीधे तौर पर ड्रेसिंग रूम के माहौल पर भी पड़ गया है। टीम के कोच संगकारा और नई टीम के साथ तालमेल बैठाने के केस में भी उन्होंने बेहतर नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाई है। जबकि साथी खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने में भी वह आगे रहे हैं।      

प्रयोग करने की ललक और युवा खिलाडियों पर भरोसा: संजू की कप्तानी में राजस्थान की टीम मौजूदा सीजन में नए नए प्रयोगों को अंजाम दे चुकी है, भले परिणाम जो भी हो लेकिन संजू प्रयोग करने से पीछे नहीं हट रहे, शायद उसी का तनीजा है कि कुलदीप सेन और रियान पराग जैसे नए युवा खिलाड़ियों को उभरने का अवसर मिल गया है। वहीं चहल और अश्विन का स्पिन कॉम्बो भी बहुत फायदेमंद साबित हुआ है, चहल 24 और अश्विन 10 विकेट लेने में कामयाब हो चुकी है, और इस जोड़ी ने विरोधी टीम को बांधे रखने में विशेष भूमिका अदा की है। वहीं टॉस के मामले में उनकी किस्मत ने बहुत अधिक साथ नहीं दिया है, बावजूद इसके वह टीम स्प्रिट और गेंद व बल्ले, दोनों से टीम को रणनीतिक रूप से आगे बढ़ने में भी कामयाब हो गए है। 

निःस्वार्थ भाव और ईमानदारी से निखारा खेल: 2020 के उपरांत, सैमसन ने टी-20 क्रिकेट के रन-चार्ट पर नंबर-3 पर अपना दबदबा बना रखा है। वह 38 पारियों में 147.87 के स्ट्राइक रेट से 1251 रन बनाकर शीर्ष रन बनाने वाले खिलाड़ी बन चुके है। इसमें 
उनके नाम 10 अर्धशतक भी शामिल है। जबकि IPL में भी निरंतर उनकी बल्लेबाजी में सुधार देखने के लिए मिल रहा है. 2013, 2014 और 2015 में वह राजस्थान के लिए खेले और क्रमशः 206, 339 और 204 रन बना चुके है। संजू ने अभी तक IPL में कुल 134 मैच खेले हैं और 29.29 की औसत से 3427 रन जड़ दिए हैं। संजू के नाम IPL में तीन शतक और 17 अर्धशतक शामिल हैं. वहीं IPL में उनका स्ट्राइक रेट 135.99 का रहा है. संजू 2018 में जब राजस्थान में वापस लौटे तो टीम के अहम सदस्य के रूप में अपने आप को स्थापित करने में  कामयाब हो गए. 2018 में उन्होंने 15 मैचौं में 441, 2019 में 12 मैचों में 342 और 2020 में 14 मैचों में 375 रन बनाए। संजू की बल्लेबाजी की काबिलियत को देखते ही टीम ने उन्हें टीम की कप्तानी सौंपी है।

वरिष्ठ खिलाडियों का सम्मान व भाषा पर अच्छी पकड़: भाषा के मामले में तमिल हिंदी और इंग्लिश में फर्राटे मारने वाले संजू को इंडिया टीम के उज्जवल भविष्य के तौर पर देखा जाता है, जो सभी फॉर्मेट में इंडियन टीम को प्रत्येक बैटिंग आर्डर पर कई ऐतिहासिक परियों का गवाह भी बन सकते है और जरुरत पड़ने पर टीम के लिए विकेट कीपर बल्लेबाज से लेकर एक बेहतर कप्तान की भूमिका भी बखूबी अदा करने वाले है। इस सीजन में निरंतर टीम को टॉप 4 के अंदर बनाये रखकर, भारतीय टीम के इस धाकड़ बल्लेबाज ने रोहित शर्मा और के एल राहुल जैसे कप्तानों को भी पीछे छोड़ दिया है।  टीम के लिए पैडीकल, जायसवाल और जॉस बटलर की जोड़ी दी विरोधी गेंदबाजों के लिए सिर दर्द बना हुआ है और संजू ने टीम को बल्ले और गेंद दोनों से मजबूत बनाने के लिए कई सारे प्रयोग किये है जिसमें वह कामयाब भी हो गए है। अब देखना ये है कि आगे के मुकाबलों में राजस्थान किस रणनीति के तहत मैदान में उतरती है! और सैमसन कौन से नए प्रयोग को  देते हैं।

 

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