प्यासे जोधपुर के लिए महिलाओं ने किया 'मेहजाल' का आयोजन, गाए मंगल गीत
प्यासे जोधपुर के लिए महिलाओं ने किया 'मेहजाल' का आयोजन, गाए मंगल गीत
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जयपुर: आधुनिकता के इस दौर में जहां विज्ञान से भविष्य देखा जाता है और उसकी भविष्यवाणी भी की जाती है. किन्तु आज भी समाज में पुराने रीति-रिवाजों को मानकर उस परंपरा को निभाया जाना बदस्तूर जारी है. जिसे आज के युग में विज्ञान नहीं मानता. यही वजह है कि राजस्थान में वक़्त पर मानसून नहीं आने पर जहां इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए स्थानीय लोगों ने इस परंपरा का निर्वहन किया.

मारवाड़ में वक़्त पर मानसून नहीं आने के बाद रविवार को जोधपुर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक टोटके 'मेहजाल' का आयोजन किया गया. इस दौरान भगवान से जल्दी वर्षा करने की कामना की गई. जोधपुर के मंडोर क्षेत्र में महिलाओं ने ढोल नगाड़ों के साथ अपने सर पर पानी से भरे छिद्र युक्त मटकिया रखकर मंगल गीत गए और मंडोर स्थित काला गोरा भैरू नाथ के मंदिर जाकर पूजन अर्चन किया और वहां पर मटकिया फोड़ कर भगवान से अच्छी बारिश की कामना की. 

ये महिलाएं मंडोर के भियाली बेरा से जुलूस के रूप में रवाना होकर मंडोर उद्यान स्थित काला गोरा भैरू नाथ मंदिर पहुंची, जहां उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद भैरों नाथ को घुघरी का भोग लगाया. इसके साथ ही जोधपुर समेत समूचे मारवाड़ में अच्छी वर्षा के लिए  प्रार्थना की.

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